प्ं. महेष षर्मा
प्रेम इंसान के उन भावनात्मक पहलुओं की कोमल अभिव्यक्ति हैए जिसमें कि उसका स्वतंत्र भाव समर्पित रूप से समाया हुआ है। यह किसी तराजू का तौल नहीं अपितु सुंदरए कोमल भावनाओं का स्नेह भरा मोल हैए जिसका परस्पर आदान.प्रदान आपसी संबंधों को मधुर व मजबूत बनाता है।
विवाह मात्र रस्म नहीं यह दो लोगों के परस्पर मन को जोड़ने वाला तार है इसलिए यदि दांपत्य जीवन की लय.ताल में तालमेल हो तो सरगम सुमधुर बन जाती है। वहीं अगर मन मिलने को राजी न हों तो कर्कशता जिंदगी भर का साथ हो जाती है। दांपत्य जीवन से जुड़ी परंपराएं व त्योहार आपसी प्रेम तथा सामंजस्य को बल देते हैं। तो क्यों न हम गहराई को दांपत्य जीवन की नींव बना लें और गृहस्थी के आंगन में हमेशा चांद को चमकता देखें।
संवाद रू. पति.पत्नी में झगड़ा होने पर पति.पत्नी अक्सर बोलना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से मन में अनेक शंकाएं जन्म ले लेती हैं। रिश्तों में दरार आती है सो अलग। इसलिए मनमुटाव या तकरार होने पर संवाद द्वारा समस्या का हल निकालने का प्रयास करें एवं अपनी गलतियों को स्वीकारना भी सीखें। जहां प्यार होता है वहा तकरार होना लाजमी है।
सामंजस्य रू. गुण.अवगुण हर इंसान में पाए जाते हैं। भले ही कोई इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो उसमें भी बुराई हो सकती है। अपने जीवनसाथी की कमियोंए बुराइयों को लेकर विवाद करना दांपत्य जीवन में दरार पैदा करता है। इसलिए जीवनसाथी की कमियों की बजाए अच्छाइयों पर ध्यान दें और प्यार से समझाकर बुराइयां दूर करने का प्रयत्न करें। विचारों एवं स्वभावों का उचित सामंजस्य ही सुखी वैवाहिक जीवन की धुरी है।
समय रू पति.पत्नी करियर या भौतिकता में इतना खो जाते हैं कि एक.दूसरे को समय ही नहीं दे पाते और यहीं से रिश्तों में शिथिलता आने लग जाती है। इसलिए काम से फुर्सत निकालकर एक.दूसरे के साथ कुछ लम्हे जरूर बिताएं या कहीं घूमने जाएं। इससे जहां एक.दूसरे के दिल की बातें जानने का अवसर मिलेगा वहीं रिश्तों में नयापनए अपनापन एवं प्रगाढ़ता भी आती है।
सुझाव रू. रिश्ता दीया और बाती के समान होता है। पति.पत्नी दोनों एक.दूसरे से अपनी बात मनवाने की अपेक्षा सुझावात्मक रूप में कहें कि यह कार्य यदि ऐसे किया जाए तो कैसा रहेगा। ऐसा करने से जहां आप मनमुटाव व तकरार से बच सकते हैं वहीं आपसी परामर्श द्वारा कार्य करने से अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं।
सहयोग रू. किसी भी व्यक्ति के साथ तालमेल करने में अक्सर इगो बाधक बनता है कि मैं ही ये काम क्यों करूंए लेकिन पति.पत्नी एक दूजे का सुख.दुरूख बांटनडे के लिए होते हैं तो आपस में सहयोग करने में कभी पीछे न रहें। पति पर ऑफिस के कार्यो का बोझ आने पर पर यथासंभव सहयोग करना चाहिए। वहीं घर के कामकाज में यदि पतिए पत्नी की मदद करे तो इससे प्यार बढ़ता है आपसी सहयोग से कठिन काम आसान भी हो जाते हैं।
सराहना रू. प्रशंसा शब्द भले ही छोटा हो परंतु आप जिसकी तारीफ करते हैंए उससे एक ओर उसकी कार्यकुशलता बढ़ती है। वहीं संबंधों में मधुरता भी आती है। इसलिए अच्छा कार्य करने पर प्रशंसा करने में कभी भी कंजूसी न करें। सराहना करना इस रिश्ते को और भी प्रगाढ़ता प्रदान करता है। इनके अलावा शादी की सालगिरहए जन्मदिन पर एक.दूजे को गिफ्ट देना न भूलेंए आपस में पूर्ण विश्वास करें शक को कोई जगह न दें।
परखें जीवनसाथी की महत्ता
सुख.दुरूख में साथ।
वायदे पूरे करें।
भावनाओं को समझें।
एक दूजे पर विश्वास बनाए रखें।
प्रेम इंसान के उन भावनात्मक पहलुओं की कोमल अभिव्यक्ति हैए जिसमें कि उसका स्वतंत्र भाव समर्पित रूप से समाया हुआ है। यह किसी तराजू का तौल नहीं अपितु सुंदरए कोमल भावनाओं का स्नेह भरा मोल हैए जिसका परस्पर आदान.प्रदान आपसी संबंधों को मधुर व मजबूत बनाता है।
विवाह मात्र रस्म नहीं यह दो लोगों के परस्पर मन को जोड़ने वाला तार है इसलिए यदि दांपत्य जीवन की लय.ताल में तालमेल हो तो सरगम सुमधुर बन जाती है। वहीं अगर मन मिलने को राजी न हों तो कर्कशता जिंदगी भर का साथ हो जाती है। दांपत्य जीवन से जुड़ी परंपराएं व त्योहार आपसी प्रेम तथा सामंजस्य को बल देते हैं। तो क्यों न हम गहराई को दांपत्य जीवन की नींव बना लें और गृहस्थी के आंगन में हमेशा चांद को चमकता देखें।
संवाद रू. पति.पत्नी में झगड़ा होने पर पति.पत्नी अक्सर बोलना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से मन में अनेक शंकाएं जन्म ले लेती हैं। रिश्तों में दरार आती है सो अलग। इसलिए मनमुटाव या तकरार होने पर संवाद द्वारा समस्या का हल निकालने का प्रयास करें एवं अपनी गलतियों को स्वीकारना भी सीखें। जहां प्यार होता है वहा तकरार होना लाजमी है।
सामंजस्य रू. गुण.अवगुण हर इंसान में पाए जाते हैं। भले ही कोई इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो उसमें भी बुराई हो सकती है। अपने जीवनसाथी की कमियोंए बुराइयों को लेकर विवाद करना दांपत्य जीवन में दरार पैदा करता है। इसलिए जीवनसाथी की कमियों की बजाए अच्छाइयों पर ध्यान दें और प्यार से समझाकर बुराइयां दूर करने का प्रयत्न करें। विचारों एवं स्वभावों का उचित सामंजस्य ही सुखी वैवाहिक जीवन की धुरी है।
समय रू पति.पत्नी करियर या भौतिकता में इतना खो जाते हैं कि एक.दूसरे को समय ही नहीं दे पाते और यहीं से रिश्तों में शिथिलता आने लग जाती है। इसलिए काम से फुर्सत निकालकर एक.दूसरे के साथ कुछ लम्हे जरूर बिताएं या कहीं घूमने जाएं। इससे जहां एक.दूसरे के दिल की बातें जानने का अवसर मिलेगा वहीं रिश्तों में नयापनए अपनापन एवं प्रगाढ़ता भी आती है।
सुझाव रू. रिश्ता दीया और बाती के समान होता है। पति.पत्नी दोनों एक.दूसरे से अपनी बात मनवाने की अपेक्षा सुझावात्मक रूप में कहें कि यह कार्य यदि ऐसे किया जाए तो कैसा रहेगा। ऐसा करने से जहां आप मनमुटाव व तकरार से बच सकते हैं वहीं आपसी परामर्श द्वारा कार्य करने से अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं।
सहयोग रू. किसी भी व्यक्ति के साथ तालमेल करने में अक्सर इगो बाधक बनता है कि मैं ही ये काम क्यों करूंए लेकिन पति.पत्नी एक दूजे का सुख.दुरूख बांटनडे के लिए होते हैं तो आपस में सहयोग करने में कभी पीछे न रहें। पति पर ऑफिस के कार्यो का बोझ आने पर पर यथासंभव सहयोग करना चाहिए। वहीं घर के कामकाज में यदि पतिए पत्नी की मदद करे तो इससे प्यार बढ़ता है आपसी सहयोग से कठिन काम आसान भी हो जाते हैं।
सराहना रू. प्रशंसा शब्द भले ही छोटा हो परंतु आप जिसकी तारीफ करते हैंए उससे एक ओर उसकी कार्यकुशलता बढ़ती है। वहीं संबंधों में मधुरता भी आती है। इसलिए अच्छा कार्य करने पर प्रशंसा करने में कभी भी कंजूसी न करें। सराहना करना इस रिश्ते को और भी प्रगाढ़ता प्रदान करता है। इनके अलावा शादी की सालगिरहए जन्मदिन पर एक.दूजे को गिफ्ट देना न भूलेंए आपस में पूर्ण विश्वास करें शक को कोई जगह न दें।
परखें जीवनसाथी की महत्ता
सुख.दुरूख में साथ।
वायदे पूरे करें।
भावनाओं को समझें।
एक दूजे पर विश्वास बनाए रखें।
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