पं. महेश शर्मा
समाज में दो प्रकार के विवाह प्रचलन में हैं। पहला परंपरागत विवाह यानी तयशुदा विवाह और दूसरा प्रेम विवाह। परंपरागत विवाह माता पिता की इच्छानुसार संपन्न होता है। जबकि प्रेम विवाह में लड़के लड़कियों की इच्छा और रुचि महत्वपूर्ण होती है।
भारतीय समाज में परंपरागत विवाह सदियों से प्रचलन में है और आज भी इसे ही समाज में अधिमान्यता प्राप्त है। अधिकांश लोगों का आज भी इसी में विश्वास है। लव मैरिज और लिव इन रिलेशन की बात भले ही जारी है पर एक हकीकत इस मामले में देखने को मिल रहा है कि समझदार और योग्य युवक अब फिर से तयशुदा विवाह यानी परंपरागत विवाह को ही प्राथमिकता देने लगे हैं। संभवतः लव मैरिज की परेशानियों की वजह से सफल युवाओं में इस तरह की प्रव2त्ति नये सिरे से देखने को मिल रहा है। ये बात अलग है कि वे करिअर ओरिएंटेड लड़कियों को ही प्राथमिकता देते है पर शादी घरवालों की रजामंदी से ही करना चाहते हैं।
यही वजह है कि परंपरागत विवाह आज भी प्रासंगिक हैं। विवाह का समाज में अस्तित्व का आधार यही है। अभिभावक से लेकर युवक तक ये सोचते हैं कि यही सही परंपरा है। आज मेरे पिता शादी करते हैं। कल हम अपने बंच्चे की शादी इससे भी धूमधाम से करेंगे। यही तो जिंदगी है। यही इतिहास है और ऐसा ही होता है।
अरेंज मैरिज जीवन भर के लिए होता है। इसमें तलाक दर आज भी बहुत कम हैै। भारत में यह आज भी 1.1 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में 45.8 प्रतिशत तलाक दर है। परंपरागत विवाह में तलाक दर कम होने कारण यह माना जा रहा है कि शादी से पहले ही लड़का और लड़की दोनों के परिवार वाले अपने साधनों और जान पहचान के बल पर इस बात की तहकीकात कर लेते हैं कि रिश्ता सही है या नहीं। कम से कम इस मामले में भारतीय समाज में अब भावनाओं से कोई समझौता नहीं करता।
अरेंज्ड मैरिज के गुण
- मूल्य और अपेक्षा को सम्मान मिलना
- लड़कियां कम उम्र की और कम लंबा होना
- लुक की बात है तो एक-दूसरे की बातचीत पर निर्भर है।
- धर्म और जाति, भाषा का एक होना
- खानपान में समानता को ही प्राथमिकता और इस मामले में किसी को बाध्य नहीं किया जाता है। नान वेज और वेज में शादी होते भी है तो सहमति होने के बाद ही।
- पहले लड़कों की योग्यता को वरीयता दी जाती थी अब लड़ंकियों को भी योग्य होना बेहतर माना जाने लगा है।
- व्यवसाय भी आपसी सहमति पर आधारित होते हैं।
समाज में दो प्रकार के विवाह प्रचलन में हैं। पहला परंपरागत विवाह यानी तयशुदा विवाह और दूसरा प्रेम विवाह। परंपरागत विवाह माता पिता की इच्छानुसार संपन्न होता है। जबकि प्रेम विवाह में लड़के लड़कियों की इच्छा और रुचि महत्वपूर्ण होती है।
भारतीय समाज में परंपरागत विवाह सदियों से प्रचलन में है और आज भी इसे ही समाज में अधिमान्यता प्राप्त है। अधिकांश लोगों का आज भी इसी में विश्वास है। लव मैरिज और लिव इन रिलेशन की बात भले ही जारी है पर एक हकीकत इस मामले में देखने को मिल रहा है कि समझदार और योग्य युवक अब फिर से तयशुदा विवाह यानी परंपरागत विवाह को ही प्राथमिकता देने लगे हैं। संभवतः लव मैरिज की परेशानियों की वजह से सफल युवाओं में इस तरह की प्रव2त्ति नये सिरे से देखने को मिल रहा है। ये बात अलग है कि वे करिअर ओरिएंटेड लड़कियों को ही प्राथमिकता देते है पर शादी घरवालों की रजामंदी से ही करना चाहते हैं।
यही वजह है कि परंपरागत विवाह आज भी प्रासंगिक हैं। विवाह का समाज में अस्तित्व का आधार यही है। अभिभावक से लेकर युवक तक ये सोचते हैं कि यही सही परंपरा है। आज मेरे पिता शादी करते हैं। कल हम अपने बंच्चे की शादी इससे भी धूमधाम से करेंगे। यही तो जिंदगी है। यही इतिहास है और ऐसा ही होता है।
अरेंज मैरिज जीवन भर के लिए होता है। इसमें तलाक दर आज भी बहुत कम हैै। भारत में यह आज भी 1.1 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में 45.8 प्रतिशत तलाक दर है। परंपरागत विवाह में तलाक दर कम होने कारण यह माना जा रहा है कि शादी से पहले ही लड़का और लड़की दोनों के परिवार वाले अपने साधनों और जान पहचान के बल पर इस बात की तहकीकात कर लेते हैं कि रिश्ता सही है या नहीं। कम से कम इस मामले में भारतीय समाज में अब भावनाओं से कोई समझौता नहीं करता।
अरेंज्ड मैरिज के गुण
- मूल्य और अपेक्षा को सम्मान मिलना
- लड़कियां कम उम्र की और कम लंबा होना
- लुक की बात है तो एक-दूसरे की बातचीत पर निर्भर है।
- धर्म और जाति, भाषा का एक होना
- खानपान में समानता को ही प्राथमिकता और इस मामले में किसी को बाध्य नहीं किया जाता है। नान वेज और वेज में शादी होते भी है तो सहमति होने के बाद ही।
- पहले लड़कों की योग्यता को वरीयता दी जाती थी अब लड़ंकियों को भी योग्य होना बेहतर माना जाने लगा है।
- व्यवसाय भी आपसी सहमति पर आधारित होते हैं।
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