पं. महेश शर्मा
कहते हैं कि मौन सबसे बड़ा हथियार है। यह भी माना जाता है कि एक चुप्पी हजार वाक्यों पर भारी पड़ती है। लेकिन खामोशी, चुप्पी व मौन से बढ़कर जब बात संवादहीनता पर आती है तो यह रिश्तों के लिए खतरनाक हो सकती है। खामोशी का यह हथियार आमतौर पर दूसरे को सजा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसका असर रिश्ते पर पड़ता है। कई बार बहस या विवाद के बजाय चुप्पी अधिक आहात करती है।
पति-पत्नी के संबंधों में भावनाओं व विचारों को शेयर न करना न सिर्फ संबंधों को प्रभावित करती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। इसके कारण हृदय रोग सहित स्ट?ोक तक का खतरा हो सकता है। विशेशज्ञों का मानना है कि अगर आप अपने साथी से भावनाएं नहीं बांट पाते और किसी न किसी कारण संवादहीनता की स्थिति में जा रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आपके रिश्तों में बिखराव आ रहा है। विशेशज्ञ यह भी कहते हैं कि स्त्रियों को यह चुप्पी ज्यादा प्रभावित करती है, क्योंकि उनका मानना होता है कि हम शांति चाहते हैं। चाहते हैं कि सब खुश रहें। वैसे भी बात बढ़ाने से क्या फायदा। लेकिन यह शांति शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक सेहत की कीमत पर पैदा होती है। यानी संवादहीनता या रिश्तों का यह सन्नाटा तीन स्तरों पर दिखाई देता है।
मानसिक स्तर - जब आपस में बातचीत लगभग खत्म होने लगे।
शारीरिक स्तर - शीतयुद्ध का प्रभाव बेडरूम तक आ जाए।
भावनात्मक स्तर - यह गंभीर स्थिति है। इसमें लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में खड़े होने से भी कतराने लगते हैं। दूसरे अर्थ में संवादहीनता संवेदनहीन भी बनाने लगती है। सन्नाटे का यह अंधेरा वास्तव में रिश्तों पर गहराने लगा है।
इन समस्याओं से आप अपने दांपत्य जीवन को बचाना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि आप कुछ बातों पर ध्यान दें:
संवाद - हर हाल में आपसी बातचीत करते रहें। संवादहीनता रिश्तों को जड़ बना देती है। इससे बचने की कोशिश करें।
प्रतिबद्धता - प्रतिबद्धता हर रिश्ते में जरूरी है। इसके बिना रिश्तों में गहराई नहीं आ सकती।
काॅम्प्लीमेंट्स - साथी की सराहना भी जरूरी है। आलोचना करने की हजार वजहें हो सकती हैं। लेकिन साथी के कुछ गुण तो तारीफ के काबिल भी होते हैं, उन पर ध्यान दें। प्रशंसा में कंजूसी न करें।
परवाह - एक-दूसरे का ख्याल तभी रखा जा सकता है जब साथी से मानसिक-भावनात्मक रूप से जुड़े हों। कोई हमारा ख्याल रखता है यह एक बात हर दुख से उबारने की ताकत रखती है।
जुड़ाव - एक-दूसरे से जुड़ाव का होना जरूरी है। यह हर क्शेत्र में दिखना चाहिए। ये हैं तो संवादहीनता होगी ही नहीं। शादीशुदा जिंदगी प्यार, सम्मान, ख्याल, समर्पण व साझेदारी पर टिकती है। विवाह एक संस्था से बढ़कर प्रतिबद्ध रिश्ता भी है। इस रिश्ते की मिठास बनाए रखने के लिए अपनी भावनाओं व मीठी बातों की चाशनी इसमें घोलते रहें। दिल की गहराइयों से साथी से प्रेम करें।
हर अच्छाई - बुराई से इतर यह सोचें कि कोई है जो हमेशा साथ खड़ा है। जिससे आप सबकुछ साझा कर सकते हैं और जिसके लिए जिंदगी की हर तकलीफ झेल सकते हैं। क्या यह सच नहीं कि अपने दांपत्य को हर व्यक्ति बेहतरीन बनाना चाहता है? तो फिर रोजमर्रा के जीवन में बेहतरी की कोशिश क्यो? अब इसके बाद तो अपनी खामोशी तोड़ दीजिए और बांहें फैलाकर साथी का स्वागत कीजिए।
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