पं. महेश शर्मा
मेरठ में अब प्रापर्टी लेन-देन का काम व्यवस्थित तरीके से होने लगा है। प्रापर्टी एडवाइजरी एंड कंसलटेंसी नामके इस काम की शुरुआत एक एमबीए युवक ने की है। इसके जरिये लोगों प्रापर्टी की खरीद-बिक्री का काम कानूनी व औपचारिक तरीके से होने लगा है। ऐसा होने से अब खरीददार को इस बात से राहत मिली है कि एक बार प्रापर्टी दिलाने के बाद जब उन्हें परेशानी होने पर वह कंसलटेंसी एजेंसी का सहयोग लेकर अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
प्रापर्टी एडवाइजरी के इस व्यवसाय के अन्तर्गत लोगों को अब कई तरह की परेशानियों से राहत मिलने लगी है। ब्रिक्स एंड होम्स रिएल एस्टेट इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के अनुराग गर्ग कहते हैं, अभी तक प्रापर्टी के खरीद बिक्री का काम मेरठ में व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पा रहा था। उन्होंने परंपरागत तरीके से होने वाले काम को केवल औपचारिक व कानूनी तरीके से करने का काम शुरू किया है। ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि मेरठ में बड़े पैमाने पर रिएल एस्टेट कारोबार होने के बाद भी लोग प्राइवेट बिल्डर पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसा इसलिए कि एक बार किसी प्रोजेक्ट में पैसा लगाने के बाद प्रोजेक्ट लेट होने पर खरीदार ठगा महसूस करता है। ऐसे में उसे नुकसान उठाना पड़ता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों का नुकसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि इस काम को भारत सरकार के रिएल एस्टेट कानूनों के अनुसार अंजाम दिया जा रहा है,जिसके अनुसार शर्तें पूरी नहीं करने पर बिल्डर को नफा नुकसान के लिए जिम्मेदार होंगे। साथ ही उन्हें खरीदार को क्षतिपूर्ति अदा करना पड़ेगा।
एडवाइजरी एंड कंसलटेंसी वर्क के अन्तर्गत फिलहाल एजेंसियों द्वारा डीएलएफ, ओमैक्स, सुपरटेक, थ्रीसी, ग्रांड इन्फ्रा, अंसल, एरा, आम्रपाली, जेपी, लोधा, यूनिटेक जैसी कंपनियों की प्रापर्टी बेचने का काम किया जा रहा है। ये काम मेरठ सेंटर से दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, मोदीनगर, चंडीगढ़, देहरादून, मुम्बई आदि शहरों के लिए हो रहा है।
इस तरीके से प्रापर्टी की खरीद करने पर सबसे ज्यादा प्रापर्टी में निवेश करने वालों का हित सुरक्षित रहेगा। क्योंकि इसमें डेवलपर अपने प्रोजेक्ट्स को कंसलटैंट्स के माध्यम से बेचेंगे। कंसलटैंट खरीददार और डेवलपर के बीच सेतु का काम करेगा और भविष्य में होने वाली समस्याओं का समाधान भी करवाएगा।
इस काम को करने वालों का कहना है कि मेरठ व आसपास के क्षेत्र में इस व्यवसाय में काफी ज्यादा स्कोप है।
हां, एक बात और है व्यवस्थित तरीके से काम वही कर पाएगा, जो पढ़ा लिखा हो।
सही मायने में तो एमबीए, बीटेक, एमटेक करने वालों के लिए यह काम सबसे ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि ऐसे युवंओं को तकनीकी व काूननी पहलुओं के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं। कानूनी प्रक्रियाओं के तहत काम करने पर उनका व्यवसाय काफी चलेगा। एक युवक बिना किसी ज्यादा दौड़ धूप के प्रतिवर्ष न्यूनतम सेल करने पर भी हायर नौकरी पेशा में शामिल लोगों की तुलना में खुद को ज्यादा बेहतर स्थिति में पा सकता है।
मेरठ में अब प्रापर्टी लेन-देन का काम व्यवस्थित तरीके से होने लगा है। प्रापर्टी एडवाइजरी एंड कंसलटेंसी नामके इस काम की शुरुआत एक एमबीए युवक ने की है। इसके जरिये लोगों प्रापर्टी की खरीद-बिक्री का काम कानूनी व औपचारिक तरीके से होने लगा है। ऐसा होने से अब खरीददार को इस बात से राहत मिली है कि एक बार प्रापर्टी दिलाने के बाद जब उन्हें परेशानी होने पर वह कंसलटेंसी एजेंसी का सहयोग लेकर अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
प्रापर्टी एडवाइजरी के इस व्यवसाय के अन्तर्गत लोगों को अब कई तरह की परेशानियों से राहत मिलने लगी है। ब्रिक्स एंड होम्स रिएल एस्टेट इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के अनुराग गर्ग कहते हैं, अभी तक प्रापर्टी के खरीद बिक्री का काम मेरठ में व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पा रहा था। उन्होंने परंपरागत तरीके से होने वाले काम को केवल औपचारिक व कानूनी तरीके से करने का काम शुरू किया है। ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि मेरठ में बड़े पैमाने पर रिएल एस्टेट कारोबार होने के बाद भी लोग प्राइवेट बिल्डर पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसा इसलिए कि एक बार किसी प्रोजेक्ट में पैसा लगाने के बाद प्रोजेक्ट लेट होने पर खरीदार ठगा महसूस करता है। ऐसे में उसे नुकसान उठाना पड़ता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों का नुकसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि इस काम को भारत सरकार के रिएल एस्टेट कानूनों के अनुसार अंजाम दिया जा रहा है,जिसके अनुसार शर्तें पूरी नहीं करने पर बिल्डर को नफा नुकसान के लिए जिम्मेदार होंगे। साथ ही उन्हें खरीदार को क्षतिपूर्ति अदा करना पड़ेगा।
एडवाइजरी एंड कंसलटेंसी वर्क के अन्तर्गत फिलहाल एजेंसियों द्वारा डीएलएफ, ओमैक्स, सुपरटेक, थ्रीसी, ग्रांड इन्फ्रा, अंसल, एरा, आम्रपाली, जेपी, लोधा, यूनिटेक जैसी कंपनियों की प्रापर्टी बेचने का काम किया जा रहा है। ये काम मेरठ सेंटर से दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, मोदीनगर, चंडीगढ़, देहरादून, मुम्बई आदि शहरों के लिए हो रहा है।
इस तरीके से प्रापर्टी की खरीद करने पर सबसे ज्यादा प्रापर्टी में निवेश करने वालों का हित सुरक्षित रहेगा। क्योंकि इसमें डेवलपर अपने प्रोजेक्ट्स को कंसलटैंट्स के माध्यम से बेचेंगे। कंसलटैंट खरीददार और डेवलपर के बीच सेतु का काम करेगा और भविष्य में होने वाली समस्याओं का समाधान भी करवाएगा।
इस काम को करने वालों का कहना है कि मेरठ व आसपास के क्षेत्र में इस व्यवसाय में काफी ज्यादा स्कोप है।
हां, एक बात और है व्यवस्थित तरीके से काम वही कर पाएगा, जो पढ़ा लिखा हो।
सही मायने में तो एमबीए, बीटेक, एमटेक करने वालों के लिए यह काम सबसे ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि ऐसे युवंओं को तकनीकी व काूननी पहलुओं के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं। कानूनी प्रक्रियाओं के तहत काम करने पर उनका व्यवसाय काफी चलेगा। एक युवक बिना किसी ज्यादा दौड़ धूप के प्रतिवर्ष न्यूनतम सेल करने पर भी हायर नौकरी पेशा में शामिल लोगों की तुलना में खुद को ज्यादा बेहतर स्थिति में पा सकता है।
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