पं. महेश शर्मा
क्या आपने कभी यूं ही एकांत क्षणों में स्नेह से साथी की बांह पकडी और खुद के भीतर एक
पवित्र सी स्नेह भावना महसूस की। गहरी उदासी भरे पलों में पति ने आपके माथे पर प्यार भरा
एक चुंबन दिया और आपको लगा मानो एक पल में ही सारा तनाव खत्म हो गया। रोते बच्चे को
मां ने प्यार से दुलारा और उसके आंसू थम गए। हॉस्पिटल के बेड पर पडे मरीज की हथेलियों पर
डॉक्टर ने हौले से अपनी हथेलियों का स्पर्श दिया और वह कष्ट में भी मुस्करा उठा।
क्या है स्पर्श
हम सभी स्पर्श की भाषा समझते हैं। अक्सर किसी से मिलते समय हम उससे हाथ मिलाते हैं।
इससे संबंधों में एक गर्मजोशी का एहसास होता है। आमतौर पर किसी से दोबारा मिलने के लिए
हमारा प्रिय वाक्य होता है कीप इन टच। चिज्ञ्ी में संबोधन के बाद सबसे पहले शब्द होते हैं
बडों को चरण स्पर्श और छोटों को स्नेह व प्यार भरा आशीष। हम डॉक्टर से हीलिंग टच के
बारे में बात करते हैं। अपने छोटे बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श में फर्क करना सिखाते हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर हम सभी दूसरों से अपेक्षित फासला रखना बेहतर समझते हैं। कोशिश
करते हैं कि गलती से भी किसी को छू न लें। क्योंकि इसका संदेश विपरीत भी जा सकता है। इन
सबके बीच हम एक बेहद बुनियादी सी बात भूल जाते हैं। वह है स्वस्थ मानवीय स्पर्श। समाज
में, परिवार मे, किसी से बातचीत में, हम इस स्पर्श की मक भाषा को व्यक्त करना भूल ही जाते
हैं।
जादू की झप्पी का महत्व
मां का भरपूर स्पर्श पाने वाले बच्चे का विकास अपेक्षाकृत तेज गति से होता है। जबकि ऐसे
बच्चे बीमार एवं कमजोर होते हैं, जिन्हें मां का प्यार नहीं मिल पाता।
स्पर्श महज मनुष्य जाति की ही भावना नहीं है, बेजुबान जानवरों को भी यह भाषा समझ आती
है। शोध तो यहां तक कहते हैं कि जिन पालतू जानवरों को ज्यादा प्यार मिलता है, वे औरों से
ज्यादा स्वस्थ होते हैं।
मानवीय संबंधों में स्पर्श का बहुत महत्व है। दुख के पलों में दोस्त सांत्वना देते हुए कंधे पर
हाथ रखता है और बिना बोले कह देता है मैं हंू न। फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में यह स्पर्श
मरीजों को जादू की झप्पी देने लगता है।
सांस लेने जितना जरूरी है स्पर्श
आज के युग में जहां लोगों के पास समय की कमी है, स्पर्श का महत्व और बढ गया है। शायद
यही कारण है कि हीलिंग टच थेरेपी की मांग लगातार बढ रही है। पार्लर में फेशियलए स्पा या
बॉडी मसाज कराना हो या रेकीए एक्यूप्रेशर या एक्यूपंचर जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों
से शरीर मन को स्वस्थ रखना होए स्पर्श ही इनके केंद्र में काम करता है। इसलिए वैज्ञानिक
अब स्पर्श को जिंदा रहने के लिए जरूरी मानने लगे हैं।
शब्दों से परे भावनाओं से भरे स्पर्श के बारे में इतना ही कहना काफी है कि जहां शब्द चुक जाते
हैं, स्पर्श बोलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी कमी से न सिर्फ भावनाएं आहत होती
हैं, बल्कि दांपत्य में सेक्स भावनाएं भी कम होने लगती हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी
इसका प्रभाव पडता है।
मानव शरीर त्वचा के सुरक्षित खोल के भीतर समाया हुआ है, जिसमें हर एक इंच में हजारों
स्नायु और संवेदन तंत्रिकाएं मौजूद होती हैं। ये मस्तिष्क को आसपास होने वाली घटनाओं की
सूचना भेजती हैं। मसलन बर्फ पर हाथ रखते ही ठंड का एहसास होना आग पर हथेली पडते ही
त्वचा में जलन का अनुभव होना जैसे तमाम काम स्नायु तंत्र के ही हैं।
क्या आपने कभी यूं ही एकांत क्षणों में स्नेह से साथी की बांह पकडी और खुद के भीतर एक
पवित्र सी स्नेह भावना महसूस की। गहरी उदासी भरे पलों में पति ने आपके माथे पर प्यार भरा
एक चुंबन दिया और आपको लगा मानो एक पल में ही सारा तनाव खत्म हो गया। रोते बच्चे को
मां ने प्यार से दुलारा और उसके आंसू थम गए। हॉस्पिटल के बेड पर पडे मरीज की हथेलियों पर
डॉक्टर ने हौले से अपनी हथेलियों का स्पर्श दिया और वह कष्ट में भी मुस्करा उठा।
क्या है स्पर्श
हम सभी स्पर्श की भाषा समझते हैं। अक्सर किसी से मिलते समय हम उससे हाथ मिलाते हैं।
इससे संबंधों में एक गर्मजोशी का एहसास होता है। आमतौर पर किसी से दोबारा मिलने के लिए
हमारा प्रिय वाक्य होता है कीप इन टच। चिज्ञ्ी में संबोधन के बाद सबसे पहले शब्द होते हैं
बडों को चरण स्पर्श और छोटों को स्नेह व प्यार भरा आशीष। हम डॉक्टर से हीलिंग टच के
बारे में बात करते हैं। अपने छोटे बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श में फर्क करना सिखाते हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर हम सभी दूसरों से अपेक्षित फासला रखना बेहतर समझते हैं। कोशिश
करते हैं कि गलती से भी किसी को छू न लें। क्योंकि इसका संदेश विपरीत भी जा सकता है। इन
सबके बीच हम एक बेहद बुनियादी सी बात भूल जाते हैं। वह है स्वस्थ मानवीय स्पर्श। समाज
में, परिवार मे, किसी से बातचीत में, हम इस स्पर्श की मक भाषा को व्यक्त करना भूल ही जाते
हैं।
जादू की झप्पी का महत्व
मां का भरपूर स्पर्श पाने वाले बच्चे का विकास अपेक्षाकृत तेज गति से होता है। जबकि ऐसे
बच्चे बीमार एवं कमजोर होते हैं, जिन्हें मां का प्यार नहीं मिल पाता।
स्पर्श महज मनुष्य जाति की ही भावना नहीं है, बेजुबान जानवरों को भी यह भाषा समझ आती
है। शोध तो यहां तक कहते हैं कि जिन पालतू जानवरों को ज्यादा प्यार मिलता है, वे औरों से
ज्यादा स्वस्थ होते हैं।
मानवीय संबंधों में स्पर्श का बहुत महत्व है। दुख के पलों में दोस्त सांत्वना देते हुए कंधे पर
हाथ रखता है और बिना बोले कह देता है मैं हंू न। फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में यह स्पर्श
मरीजों को जादू की झप्पी देने लगता है।
सांस लेने जितना जरूरी है स्पर्श
आज के युग में जहां लोगों के पास समय की कमी है, स्पर्श का महत्व और बढ गया है। शायद
यही कारण है कि हीलिंग टच थेरेपी की मांग लगातार बढ रही है। पार्लर में फेशियलए स्पा या
बॉडी मसाज कराना हो या रेकीए एक्यूप्रेशर या एक्यूपंचर जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों
से शरीर मन को स्वस्थ रखना होए स्पर्श ही इनके केंद्र में काम करता है। इसलिए वैज्ञानिक
अब स्पर्श को जिंदा रहने के लिए जरूरी मानने लगे हैं।
शब्दों से परे भावनाओं से भरे स्पर्श के बारे में इतना ही कहना काफी है कि जहां शब्द चुक जाते
हैं, स्पर्श बोलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी कमी से न सिर्फ भावनाएं आहत होती
हैं, बल्कि दांपत्य में सेक्स भावनाएं भी कम होने लगती हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी
इसका प्रभाव पडता है।
मानव शरीर त्वचा के सुरक्षित खोल के भीतर समाया हुआ है, जिसमें हर एक इंच में हजारों
स्नायु और संवेदन तंत्रिकाएं मौजूद होती हैं। ये मस्तिष्क को आसपास होने वाली घटनाओं की
सूचना भेजती हैं। मसलन बर्फ पर हाथ रखते ही ठंड का एहसास होना आग पर हथेली पडते ही
त्वचा में जलन का अनुभव होना जैसे तमाम काम स्नायु तंत्र के ही हैं।
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