पं. महेश शर्मा
बहुत सारे ऐसे कारण जाने.अनजाने पैदा हो जाते हैं जो रिश्तों में कड़वाहट घोल देते हैं। अकसर यह तल्खी इतनी ज्यादा हो जाती है कि सात जन्मों का संबंध अचानक टूटने लगता हैं।
लैंगिक स्तर पर पुरुश और महिला दोनों के कामकाजी होने की वजह से आज पति.पत्नी के बीच भी एक.दूसरे के साथ के लिए बहुत कम समय मिलता है । लेकिन याद रखने की बात ये है कि दांपत्य जीवन केवल पैसे या दैहिक संबंधों के सहारे नहीं चलते। आज के दंपति तो आपस में लड़ना भी नहीं जानते। बातों.बातों में संबंध तोड़ लेते हैं। बोलना बंद कर देते हैं। वे भूलने लगते हैं कि दोनों का अलग.अलग वजूद दांपत्य प्रीत में प्रगाढ़ता लाता है।
भारतीय समाज और पंरपरा में पति.पत्नी के रिश्ते को दो शरीर पर एक प्राण माना जाता रहा है। रूचिए स्वभाव और आदत में भिन्नता होने के बावजूद दूसरे देशों के मुकाबले आज भी यहां दांपत्य अधिक सुखी है। उसके पीछे का आधार यही है। रूचिए दृश्टि और व्यवहार में मत भिन्नता के बावजूद प्रगाढ़ता बनी रहती है। पति.पत्नी एकरस होने की जगह आजीवन एक.दूसरे को अपनी रूचिए आदत और स्वभाव की ओर खींचते रहते हैं। एक.दूसरे पर अपना विचारण्व्यवहारण्संस्कार थोपने की कोशिश करते हैं। यह वर्चस्व की लड़ाई आजीवन चलती रहती है। पर न तो दांपत्य टूटता है और न ही परिवार बिखरता है।
मनोचिकित्सक डाण् विकास सैनी कहते हैं कि दांपत्य का लक्श्य बच्चों और परिवार का पोशण है। विवाह की गांठ एक.दूसरे को अपनी ओर खींचते रहने के कारण ही सख्त से सख्ततर और सख्ततम बनती चली जाती है। दोनों भिन्न हैं। दोनों के बीच खींचतान इसलिए है कि वैवाहिक जीवन उम्र भर एक.दूसरे को समझते रहने की सहयात्रा है। वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक.दूसरे से बातें करनाए हंसनाए बोलनाए दिन भर के खुशी.गम बांटना बहुत जरूरी है। एक.दूसरे को समय देनाए भावनाओं को समझना सफल वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है। पर लोग कई सारी वजहों से अपनी निजी जिन्दगी को भुलाते जा रहे हैं। दैहिक बनाते समय भी वे मानसिक रूप से व्यस्त होते हैं। इसी कारण वे इन नाजुक क्शणों का भी आनंद नहीं ले पाते।
एक.दूसरे के साथ वक्त बिताना इसलिए जरूरी है कि वैवाहिक जीवन में कोमलता बनी रहती है। याद रखिए कि टीवी पर आने वाले कार्यक्रम तो रिपीट हो सकते हैंए लेकिन आपकी निजी जिंदगी एक बार हाथों से फिसल गई तो दोबारा हाथ नहीं आएगी। इसलिए दोनों एक.दूसरे से बात करने के लिए समय निकालें। समय की कमी वैवाहिक जीवन को खराब कर सकती है।
सबको उन्नतिए तरक्की और पैसा प्यारा है। ये चीजें पहले भी महत्व रखती थीं और आज भी लेकिन पहले लोग वैवाहिक जीवन को अधिक महत्व देते थे। रोजमर्रा की जरूरतेंए जिम्मेदारियों का बढ़ता बोझए बच्चों की शिक्शा और लालन.पालन की वजह से आर्थिक रूप से परेशान लोग निजी जिंदगी को भूल गए हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि सुखी वैवाहिक जीवन से ही जीवंतता मिलती हैए ऊर्जा मिलती है पर जिम्मेदारियों का बोझ और लगातार बढ़ती मंहगाई उनके लिए सबसे बड़े तनाव का कारण बनती है। यही तनाव दांपत्य में जहर घोलने लगता है पर यह भी सच है कि आप किसी के चहेते तभी बन सकते हैं।
भिन्नताओं को स्वीकारने में समझदारी है
दोनों की भिन्नताओं से ही पूरकता बनती है। दोनों पूरक हैं एक.दूसरे के। दोनों का मिलन प्रकृति की जरूरत है। सृश्टि को चलायमान रखने के लिए। इसलिए यह जरूरी है कि पति.पत्नी एक.दूसरे के लिए जीते हुए अपना जीवनए ध्येय परिवार की उन्नति बनाएं। वे अपना अलग.अलग अस्तित्व भी बनाए रखें। विश्वास रिश्ते की मजबूती का आधार होता है। जीवनसाथी से बातें छिपाना उसके विश्वास को तोड़ने जैसा ही होता है। आपका ऐसा आचरण अविश्वास को जन्म देता है। गलतफहमी होने पर अपने साथी की बातों को ध्यान से सुनें।
विश्वास जीतने के लिए जताएं कि आप हमेशा साथ हैं। सबसे जरूरी है कि आप आपस में मत भिन्नता व अलग रुचियों के बावजूद भी एक.दूसरे को सम्मान दें एवं अपने अपने अस्तित्व को बचाये रखते हुए सुखद जीवन जीने की कोशिश करें।
बहुत सारे ऐसे कारण जाने.अनजाने पैदा हो जाते हैं जो रिश्तों में कड़वाहट घोल देते हैं। अकसर यह तल्खी इतनी ज्यादा हो जाती है कि सात जन्मों का संबंध अचानक टूटने लगता हैं।
लैंगिक स्तर पर पुरुश और महिला दोनों के कामकाजी होने की वजह से आज पति.पत्नी के बीच भी एक.दूसरे के साथ के लिए बहुत कम समय मिलता है । लेकिन याद रखने की बात ये है कि दांपत्य जीवन केवल पैसे या दैहिक संबंधों के सहारे नहीं चलते। आज के दंपति तो आपस में लड़ना भी नहीं जानते। बातों.बातों में संबंध तोड़ लेते हैं। बोलना बंद कर देते हैं। वे भूलने लगते हैं कि दोनों का अलग.अलग वजूद दांपत्य प्रीत में प्रगाढ़ता लाता है।
भारतीय समाज और पंरपरा में पति.पत्नी के रिश्ते को दो शरीर पर एक प्राण माना जाता रहा है। रूचिए स्वभाव और आदत में भिन्नता होने के बावजूद दूसरे देशों के मुकाबले आज भी यहां दांपत्य अधिक सुखी है। उसके पीछे का आधार यही है। रूचिए दृश्टि और व्यवहार में मत भिन्नता के बावजूद प्रगाढ़ता बनी रहती है। पति.पत्नी एकरस होने की जगह आजीवन एक.दूसरे को अपनी रूचिए आदत और स्वभाव की ओर खींचते रहते हैं। एक.दूसरे पर अपना विचारण्व्यवहारण्संस्कार थोपने की कोशिश करते हैं। यह वर्चस्व की लड़ाई आजीवन चलती रहती है। पर न तो दांपत्य टूटता है और न ही परिवार बिखरता है।
मनोचिकित्सक डाण् विकास सैनी कहते हैं कि दांपत्य का लक्श्य बच्चों और परिवार का पोशण है। विवाह की गांठ एक.दूसरे को अपनी ओर खींचते रहने के कारण ही सख्त से सख्ततर और सख्ततम बनती चली जाती है। दोनों भिन्न हैं। दोनों के बीच खींचतान इसलिए है कि वैवाहिक जीवन उम्र भर एक.दूसरे को समझते रहने की सहयात्रा है। वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक.दूसरे से बातें करनाए हंसनाए बोलनाए दिन भर के खुशी.गम बांटना बहुत जरूरी है। एक.दूसरे को समय देनाए भावनाओं को समझना सफल वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है। पर लोग कई सारी वजहों से अपनी निजी जिन्दगी को भुलाते जा रहे हैं। दैहिक बनाते समय भी वे मानसिक रूप से व्यस्त होते हैं। इसी कारण वे इन नाजुक क्शणों का भी आनंद नहीं ले पाते।
एक.दूसरे के साथ वक्त बिताना इसलिए जरूरी है कि वैवाहिक जीवन में कोमलता बनी रहती है। याद रखिए कि टीवी पर आने वाले कार्यक्रम तो रिपीट हो सकते हैंए लेकिन आपकी निजी जिंदगी एक बार हाथों से फिसल गई तो दोबारा हाथ नहीं आएगी। इसलिए दोनों एक.दूसरे से बात करने के लिए समय निकालें। समय की कमी वैवाहिक जीवन को खराब कर सकती है।
सबको उन्नतिए तरक्की और पैसा प्यारा है। ये चीजें पहले भी महत्व रखती थीं और आज भी लेकिन पहले लोग वैवाहिक जीवन को अधिक महत्व देते थे। रोजमर्रा की जरूरतेंए जिम्मेदारियों का बढ़ता बोझए बच्चों की शिक्शा और लालन.पालन की वजह से आर्थिक रूप से परेशान लोग निजी जिंदगी को भूल गए हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि सुखी वैवाहिक जीवन से ही जीवंतता मिलती हैए ऊर्जा मिलती है पर जिम्मेदारियों का बोझ और लगातार बढ़ती मंहगाई उनके लिए सबसे बड़े तनाव का कारण बनती है। यही तनाव दांपत्य में जहर घोलने लगता है पर यह भी सच है कि आप किसी के चहेते तभी बन सकते हैं।
भिन्नताओं को स्वीकारने में समझदारी है
दोनों की भिन्नताओं से ही पूरकता बनती है। दोनों पूरक हैं एक.दूसरे के। दोनों का मिलन प्रकृति की जरूरत है। सृश्टि को चलायमान रखने के लिए। इसलिए यह जरूरी है कि पति.पत्नी एक.दूसरे के लिए जीते हुए अपना जीवनए ध्येय परिवार की उन्नति बनाएं। वे अपना अलग.अलग अस्तित्व भी बनाए रखें। विश्वास रिश्ते की मजबूती का आधार होता है। जीवनसाथी से बातें छिपाना उसके विश्वास को तोड़ने जैसा ही होता है। आपका ऐसा आचरण अविश्वास को जन्म देता है। गलतफहमी होने पर अपने साथी की बातों को ध्यान से सुनें।
विश्वास जीतने के लिए जताएं कि आप हमेशा साथ हैं। सबसे जरूरी है कि आप आपस में मत भिन्नता व अलग रुचियों के बावजूद भी एक.दूसरे को सम्मान दें एवं अपने अपने अस्तित्व को बचाये रखते हुए सुखद जीवन जीने की कोशिश करें।
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