प्रेम इंसान के उन भावनात्मक पहलुओं की कोमल अभिव्यक्ति है, जिसमें कि उसका स्वतंत्र भाव समर्पित रूप से समाया हुआ है। यह किसी तराजू का तौल नहीं, अपितु सुंदर कोमल भावनाओं का स्नेह भरा मोल है, जिसका परस्पर आदान-प्रदान आपसी संबंधों को मधुर व मजबूत बनाता है।
विवाह मात्र एक औपचारिकता भर नहीं। यह दो लोगों के परस्पर मन को जोड़ने वाला तार है। इसलिए यदि दांपत्य जीवन की लय-ताल में सरगम का मेल हो जाता है, वहीं अगर मन मिलने को राजी न हो, तो कर्कशता जिंदगी भर का साथ हो जाती है। दांपत्य जीवन से जुड़ी परंपराएं व त्योहार आपसी प्रेम तथा सामंजस्य को बल देते हैं। तो क्यों न हम गहराई को दांपत्य जीवन की नींव बना लें और गृहस्थी के आंगन में हमेशा चांद को चमकता देखें। पति-पत्नी में झगड़ा होने पर पति-पत्नी अक्सर बोलना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से मन में अनेक शंकाएं जन्म ले लेती हैं। रिश्तों में दरार आती है, सो अलग। इसलिए मनमुटाव या तकरार होने पर संवाद द्वारा समस्या का हल निकालने का प्रयास करें। अपनी गलतियों को स्वीकारना भी सीखें। जहाँ प्यार होता है वहा तकरार होना लाजमी है।
हर इंसान में गुण-अवगणु के अंश होते हैं। भले ही कोई इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो उसमें भी बुराई हो सकती है। अपने जीवनसाथी की कमियों को लेकर विवाद करना दांपत्य जीवन में दरार पैदा करता है। इसलिए जीवनसाथी की कमियों की बजाए अच्छाइयों पर ध्यान दें । प्यार से समझाकर बुराइयां दूर करने का प्रयत्न करें। विचारों एवं स्वभावों का उचित सामंजस्य ही सुखी वैवाहिक जीवन का आधार हो सकता है।
वर्तमान में पति-पत्नी करियर को लेकर इतना खो जाते हैं कि एक-दूसरे को समय ही नहीं दे पाते और यहीं से रिश्तों में शिथिलता आने लग जाती है। इसलिए काम से फुर्सत निकालकर कुछ लम्हे आपस में जरूर बिताएं या कहीं घूमने जाएं। इससे जहाँ एक-दूसरे के दिल की बातें जानने का अवसर मिलेगा, वहीं रिश्तों में नयापन, अपनापन एवं प्रगाढ़ता भी आती है। रिश्ता पूरी तरह से दीया और बाती के समान है। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे से अपनी बात मनवाने की अपेक्षा सुझावात्मक रूप में कहें कि यह कार्य यदि ऐसे किया जाए तो कैसा रहेगा। ऐसा करने से जहाँ आप मनमुटाव व तकरार से बच सकते हैं वहीं आपसी परामर्श द्वारा कार्य करने से अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं। किसी भी व्यक्ति के साथ तालमेल करने में अक्सर अहम बाधक बनता है कि मैं ही ये काम क्यों करूं, लेकिन पति-पत्नी सुख-दुख बांटने के लिए होते हैं। इसलिए आपस में सहयोग करने में कभी पीछे न रहें। पति पर आॅफिस के कार्यो का बोझ आने पर पर यथासंभव सहयोग करना चाहिए। वहीं घर के कामकाज में यदि आप एक-दूसरे की मदद करें, तो इससे प्यार बढ़ता है आपसी सहयोग से कठिन काम आसान भी हो जाते हैं।
प्रशंसा शब्द भले ही छोटा हो, परंतु आप जिसकी तारीफ करते हैं, उससे एक ओर उसकी कार्यकुशलता बढ़ती है। वहीं संबंधों में मधुरता भी आती है। इसलिए काम की प्रशंसा करने में कभी कंजूसी न करें। सराहना करना इस रिश्ते को और भी प्रगाढ़ता प्रदान करता है।
विवाह मात्र एक औपचारिकता भर नहीं। यह दो लोगों के परस्पर मन को जोड़ने वाला तार है। इसलिए यदि दांपत्य जीवन की लय-ताल में सरगम का मेल हो जाता है, वहीं अगर मन मिलने को राजी न हो, तो कर्कशता जिंदगी भर का साथ हो जाती है। दांपत्य जीवन से जुड़ी परंपराएं व त्योहार आपसी प्रेम तथा सामंजस्य को बल देते हैं। तो क्यों न हम गहराई को दांपत्य जीवन की नींव बना लें और गृहस्थी के आंगन में हमेशा चांद को चमकता देखें। पति-पत्नी में झगड़ा होने पर पति-पत्नी अक्सर बोलना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से मन में अनेक शंकाएं जन्म ले लेती हैं। रिश्तों में दरार आती है, सो अलग। इसलिए मनमुटाव या तकरार होने पर संवाद द्वारा समस्या का हल निकालने का प्रयास करें। अपनी गलतियों को स्वीकारना भी सीखें। जहाँ प्यार होता है वहा तकरार होना लाजमी है।
हर इंसान में गुण-अवगणु के अंश होते हैं। भले ही कोई इंसान कितना भी अच्छा क्यों न हो उसमें भी बुराई हो सकती है। अपने जीवनसाथी की कमियों को लेकर विवाद करना दांपत्य जीवन में दरार पैदा करता है। इसलिए जीवनसाथी की कमियों की बजाए अच्छाइयों पर ध्यान दें । प्यार से समझाकर बुराइयां दूर करने का प्रयत्न करें। विचारों एवं स्वभावों का उचित सामंजस्य ही सुखी वैवाहिक जीवन का आधार हो सकता है।
वर्तमान में पति-पत्नी करियर को लेकर इतना खो जाते हैं कि एक-दूसरे को समय ही नहीं दे पाते और यहीं से रिश्तों में शिथिलता आने लग जाती है। इसलिए काम से फुर्सत निकालकर कुछ लम्हे आपस में जरूर बिताएं या कहीं घूमने जाएं। इससे जहाँ एक-दूसरे के दिल की बातें जानने का अवसर मिलेगा, वहीं रिश्तों में नयापन, अपनापन एवं प्रगाढ़ता भी आती है। रिश्ता पूरी तरह से दीया और बाती के समान है। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे से अपनी बात मनवाने की अपेक्षा सुझावात्मक रूप में कहें कि यह कार्य यदि ऐसे किया जाए तो कैसा रहेगा। ऐसा करने से जहाँ आप मनमुटाव व तकरार से बच सकते हैं वहीं आपसी परामर्श द्वारा कार्य करने से अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं। किसी भी व्यक्ति के साथ तालमेल करने में अक्सर अहम बाधक बनता है कि मैं ही ये काम क्यों करूं, लेकिन पति-पत्नी सुख-दुख बांटने के लिए होते हैं। इसलिए आपस में सहयोग करने में कभी पीछे न रहें। पति पर आॅफिस के कार्यो का बोझ आने पर पर यथासंभव सहयोग करना चाहिए। वहीं घर के कामकाज में यदि आप एक-दूसरे की मदद करें, तो इससे प्यार बढ़ता है आपसी सहयोग से कठिन काम आसान भी हो जाते हैं।
प्रशंसा शब्द भले ही छोटा हो, परंतु आप जिसकी तारीफ करते हैं, उससे एक ओर उसकी कार्यकुशलता बढ़ती है। वहीं संबंधों में मधुरता भी आती है। इसलिए काम की प्रशंसा करने में कभी कंजूसी न करें। सराहना करना इस रिश्ते को और भी प्रगाढ़ता प्रदान करता है।
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