प्रोफेशनलिज्म का पहला नियम है कि ऑफिस के रिश्तों को घर तक नहीं ले जाना चाहिए। लेकिन ऑफिस में घंटों साथ बिताने पर रिश्ते निजी स्तर तक आ ही जाते हैं। ऐसे ही रिश्तों को ऑफिस स्पाउस कहते हैं। इन रिश्तों के आपके करियर पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। हम बता रहे हैं कैसे।
आपको क्या पसंद है और क्या नापसंद, आपकी आदतें, आपकी कमजोरियां और आपके गहरे राजों को बखूबी समझने वाला अगर कोई व्यक्ति आपके साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारे तो नजदीकियां आना स्वाभाविक है। कुछ ऐसे ही होते हैं 'ऑफिस स्पाउस'। ऑफिस के ड्यूटी ऑवर्स के दौरान किसी खास से कुछ ऐसी केमिस्ट्री बन जाती है कि काम करने में और भी ज्यादा मन लगता है।
लांग वर्किग ऑवर्स आजकल लगभग हर प्रोफेशन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। और साथ ही बढ़ते जा रहे हैं प्रोफेशनल रिश्तों के दायरे। ऑफिस की चहारदीवारी में पनपते हैं निजी रिश्ते। एक सर्वे के अनुसार एक ही ऑफिस में काम करने वाले स्त्री-पुरुष कई बार इतने करीब हो जाते हैं कि उनमें पति-पत्नी जैसा संबंध विकसित होने लगता है। ऐसे रिश्तों में पार्टनर्स को 'ऑफिस स्पाउस' कहते हैं। हिंदी फिल्मों में इस कॉन्सेप्ट को बखूबी प्रयोग किया गया है। अब्बास-मस्तान की फिल्म 'रेस' में कट्रीना कैफ और सैफ अली खान व अनिल कपूर और समीरा रेड्डी के बीच भी ऐसा ही रिश्ता दिखाया गया है।
क्या होते हैं ऑफिस स्पाउस?
अगर आप भी अपने ऑफिस में विपरीत सेक्स के किसी व्यक्ति पर बेहद भरोसा करते हों, उनसे अपने सबसे खास राज शेयर करते हों, उनके साथ हंसी-मजाक करते हों या उनके बिना आपका ऑफिस का जीवन ठहर सा जाए तो समझिए कि आपके पास भी एक 'ऑफिस स्पाउस' है। ऑफिस के 12-14 घंटों के वर्क प्रेशर के बीच अगर कोई आपके लिए एक शॉक-एब्जॉर्बर का काम करता है। भावनात्मक सहयोग देने के साथ वह आपकी केयर करता है और विपरीत सेक्स का है तो उसके प्रति आकर्षण पनपना स्वाभाविक है। सर्वे की मानें तो ऑफिस स्पाउसेज की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक तो लगभग 32 प्रतिशत कामकाजी लोग ऑफिस स्पाउस की बात मानते हैं। वे मानते हैं कि ऑफिस में उनका अॅपोजिट सेक्स के व्यक्ति के प्रति आकर्षण है। वे मानते हैं कि ऑफिस में उनका एक खास रिश्ता है जो उनके निजी जीवन के इतर उनके जीवन में बेहद अहम जगह रखता है। ऐसे रिश्तों में डेटिंग, हल्का-फुल्का फ्लर्ट और कुछ हद तक सेक्स भी जगह बना लेता है। लेकिन मनोवैज्ञानिक इस कॉन्सेप्ट से उतना इलेफाक नहीं रखते जितनी तेजी से 'ऑफिस स्पाउस' टर्म का प्रयोग प्रचलन में आ रहा है।
मनोवैज्ञानिक समीर पारेख कहते हैं, 'ऑफिस स्पाउस शब्द का प्रयोग अपने आपमें गलत है। स्पाउस शब्द का संबंध कमिटमेंट से होता है।' गौरतलब है कि यहां हम वर्कप्लेस अफेयर की बात नहीं कर रहे। वर्कप्लेस अफेयर और ऑफिस स्पाउस में बेसिक फर्क होता है कि वर्कप्लेस अफेयर आकर्षण के आधार पर होते हैं, जबकि ऑफिस स्पाउस रिलेशंस दो लोगों के बीच की केमिस्ट्री से बनते हैं।
ऑफिस स्पाउस का निजी जीवन पर असर
हिंदी फिल्मों के वे सीन बेहद आम हुआ करते थे जब बॉस की अपनी सेक्रेटरी के साथ नजदीकियां इतनी बढ़ जाती थीं कि ऑफिस का रिश्ता बेडरूम तक चला आता था। जाहिर है, ऐसे रिश्तों से पारिवारिक माहौल पर बुरा असर भी पड़ता था। करियर बिल्डर डॉट कॉम द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार 20 प्रतिशत गृहस्थियों में ऑफिस स्पाउस के होने से उलझनें पैदा हो जाती हैं। ऑफिस स्पाउस के साथ नजदीकियां कई बार इतनी बढ़ जाती हैं कि आपके रियल लाइफ पार्टनर के साथ आपकी ट्यूनिंग फीकी पड़ सकती है। ऐसी स्थितियों का घर तोड़ने में बड़ा हाथ होता है। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो रिश्तों में दायरे बनाने की जरूरत यहीं पड़ती है। समीर कहते हैं, 'साथ में ज्यादा समय बिताने से दो लोगों में नजदीकियां आना स्वाभाविक है, लेकिन उन करीबियों को ऑफिस के चहारदीवारी तक सीमित रखना व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है। अपने रिश्ते को काम तक सीमित रखना बेहद जरूरी है। यानी संतुलित जीवन के लिए दायरे बनाना बेहद जरूरी है।'
करियर के लिए भी खतरनाक
ऑफिस स्पाउस होने से आपको मानसिक सुकून और क्रिएटिव स्पेस तो मिलती है लेकिन इससे आपके करियर पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
1. संभव है कि आपके दूसरे कलीग्स आपके और आपके ऑफिस स्पाउस के रिश्ते के मामले में उतने सहज न हों और आपके काम में नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें।
2. रिश्ते की निजता काम पर अकसर दिख ही जाती है जिसका आपके परफॉर्मेस पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
3. अगर आप अपने स्पाउस को काम के मामले में वरीयता देंगे तो आपके कलीग्स इस बात का विरोध कर सकते हैं और आपके खिलाफ हो सकते हैं।
4. अगर आपके और आपके स्पाउस के बीच जूनियर-सीनियर की हायरार्की है तो आपकी छवि पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे मामलों में अकसर लोग कहते हैं कि बॉस के साथ निजी संबंध बनाकर तरक्की के रास्ते ढूंढे जा रहे हैं।
5. देखा गया है कि इन रिश्तों का खमियाजा पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों को ज्यादा उठाना पड़ता है। कई बार डिपार्टमेंट से ट्रांसफर कर दिया जाता है और ज्यादा बुरी स्थितियों में कंपनी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
6. आप और आपके ऑफिस स्पाउस कलीग्स के गॉसिप का केंद्र बन सकते हैं, जिससे आपके लिए काम करने का माहौल खराब हो सकता है।
7. ऐसे रिश्तों की गॉसिप अकसर परफॉर्मेस पर हावी हो जाती है और लोग आपके काम को कम आंकने लगते हैं।
8. वर्कप्लेस अफेयर और ऑफिस स्पाउस में फर्क होता है लेकिन लोग ऐसे रिश्तों को एक ही निगाह से देखते हैं।
आपको क्या पसंद है और क्या नापसंद, आपकी आदतें, आपकी कमजोरियां और आपके गहरे राजों को बखूबी समझने वाला अगर कोई व्यक्ति आपके साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारे तो नजदीकियां आना स्वाभाविक है। कुछ ऐसे ही होते हैं 'ऑफिस स्पाउस'। ऑफिस के ड्यूटी ऑवर्स के दौरान किसी खास से कुछ ऐसी केमिस्ट्री बन जाती है कि काम करने में और भी ज्यादा मन लगता है।
लांग वर्किग ऑवर्स आजकल लगभग हर प्रोफेशन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। और साथ ही बढ़ते जा रहे हैं प्रोफेशनल रिश्तों के दायरे। ऑफिस की चहारदीवारी में पनपते हैं निजी रिश्ते। एक सर्वे के अनुसार एक ही ऑफिस में काम करने वाले स्त्री-पुरुष कई बार इतने करीब हो जाते हैं कि उनमें पति-पत्नी जैसा संबंध विकसित होने लगता है। ऐसे रिश्तों में पार्टनर्स को 'ऑफिस स्पाउस' कहते हैं। हिंदी फिल्मों में इस कॉन्सेप्ट को बखूबी प्रयोग किया गया है। अब्बास-मस्तान की फिल्म 'रेस' में कट्रीना कैफ और सैफ अली खान व अनिल कपूर और समीरा रेड्डी के बीच भी ऐसा ही रिश्ता दिखाया गया है।
क्या होते हैं ऑफिस स्पाउस?
अगर आप भी अपने ऑफिस में विपरीत सेक्स के किसी व्यक्ति पर बेहद भरोसा करते हों, उनसे अपने सबसे खास राज शेयर करते हों, उनके साथ हंसी-मजाक करते हों या उनके बिना आपका ऑफिस का जीवन ठहर सा जाए तो समझिए कि आपके पास भी एक 'ऑफिस स्पाउस' है। ऑफिस के 12-14 घंटों के वर्क प्रेशर के बीच अगर कोई आपके लिए एक शॉक-एब्जॉर्बर का काम करता है। भावनात्मक सहयोग देने के साथ वह आपकी केयर करता है और विपरीत सेक्स का है तो उसके प्रति आकर्षण पनपना स्वाभाविक है। सर्वे की मानें तो ऑफिस स्पाउसेज की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक तो लगभग 32 प्रतिशत कामकाजी लोग ऑफिस स्पाउस की बात मानते हैं। वे मानते हैं कि ऑफिस में उनका अॅपोजिट सेक्स के व्यक्ति के प्रति आकर्षण है। वे मानते हैं कि ऑफिस में उनका एक खास रिश्ता है जो उनके निजी जीवन के इतर उनके जीवन में बेहद अहम जगह रखता है। ऐसे रिश्तों में डेटिंग, हल्का-फुल्का फ्लर्ट और कुछ हद तक सेक्स भी जगह बना लेता है। लेकिन मनोवैज्ञानिक इस कॉन्सेप्ट से उतना इलेफाक नहीं रखते जितनी तेजी से 'ऑफिस स्पाउस' टर्म का प्रयोग प्रचलन में आ रहा है।
मनोवैज्ञानिक समीर पारेख कहते हैं, 'ऑफिस स्पाउस शब्द का प्रयोग अपने आपमें गलत है। स्पाउस शब्द का संबंध कमिटमेंट से होता है।' गौरतलब है कि यहां हम वर्कप्लेस अफेयर की बात नहीं कर रहे। वर्कप्लेस अफेयर और ऑफिस स्पाउस में बेसिक फर्क होता है कि वर्कप्लेस अफेयर आकर्षण के आधार पर होते हैं, जबकि ऑफिस स्पाउस रिलेशंस दो लोगों के बीच की केमिस्ट्री से बनते हैं।
ऑफिस स्पाउस का निजी जीवन पर असर
हिंदी फिल्मों के वे सीन बेहद आम हुआ करते थे जब बॉस की अपनी सेक्रेटरी के साथ नजदीकियां इतनी बढ़ जाती थीं कि ऑफिस का रिश्ता बेडरूम तक चला आता था। जाहिर है, ऐसे रिश्तों से पारिवारिक माहौल पर बुरा असर भी पड़ता था। करियर बिल्डर डॉट कॉम द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार 20 प्रतिशत गृहस्थियों में ऑफिस स्पाउस के होने से उलझनें पैदा हो जाती हैं। ऑफिस स्पाउस के साथ नजदीकियां कई बार इतनी बढ़ जाती हैं कि आपके रियल लाइफ पार्टनर के साथ आपकी ट्यूनिंग फीकी पड़ सकती है। ऐसी स्थितियों का घर तोड़ने में बड़ा हाथ होता है। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो रिश्तों में दायरे बनाने की जरूरत यहीं पड़ती है। समीर कहते हैं, 'साथ में ज्यादा समय बिताने से दो लोगों में नजदीकियां आना स्वाभाविक है, लेकिन उन करीबियों को ऑफिस के चहारदीवारी तक सीमित रखना व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है। अपने रिश्ते को काम तक सीमित रखना बेहद जरूरी है। यानी संतुलित जीवन के लिए दायरे बनाना बेहद जरूरी है।'
करियर के लिए भी खतरनाक
ऑफिस स्पाउस होने से आपको मानसिक सुकून और क्रिएटिव स्पेस तो मिलती है लेकिन इससे आपके करियर पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
1. संभव है कि आपके दूसरे कलीग्स आपके और आपके ऑफिस स्पाउस के रिश्ते के मामले में उतने सहज न हों और आपके काम में नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें।
2. रिश्ते की निजता काम पर अकसर दिख ही जाती है जिसका आपके परफॉर्मेस पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
3. अगर आप अपने स्पाउस को काम के मामले में वरीयता देंगे तो आपके कलीग्स इस बात का विरोध कर सकते हैं और आपके खिलाफ हो सकते हैं।
4. अगर आपके और आपके स्पाउस के बीच जूनियर-सीनियर की हायरार्की है तो आपकी छवि पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे मामलों में अकसर लोग कहते हैं कि बॉस के साथ निजी संबंध बनाकर तरक्की के रास्ते ढूंढे जा रहे हैं।
5. देखा गया है कि इन रिश्तों का खमियाजा पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों को ज्यादा उठाना पड़ता है। कई बार डिपार्टमेंट से ट्रांसफर कर दिया जाता है और ज्यादा बुरी स्थितियों में कंपनी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
6. आप और आपके ऑफिस स्पाउस कलीग्स के गॉसिप का केंद्र बन सकते हैं, जिससे आपके लिए काम करने का माहौल खराब हो सकता है।
7. ऐसे रिश्तों की गॉसिप अकसर परफॉर्मेस पर हावी हो जाती है और लोग आपके काम को कम आंकने लगते हैं।
8. वर्कप्लेस अफेयर और ऑफिस स्पाउस में फर्क होता है लेकिन लोग ऐसे रिश्तों को एक ही निगाह से देखते हैं।
No comments:
Post a Comment