Monday, September 5, 2011

तो समझिये सबकुछ ठीक नहीं (All Not Good)


पं: महेश शर्मा

शादी जैसे पवित्रतम बंधन की नींव हमेशा प्यार, विश्वास, देखभाल और आदर पर टिकी होती है। अगर इनमें से कोई भी एक चीज गायब है तो समझिए कुछ गलत जरूर है और सही करने की तत्‍काल जरूरत हैा

कई बार रिश्तों में खटास केवल इसीलिए आ जाती है कि दोनों मिल-बैठ कर कुछ मिनट भी बतियाते तक नहीं। बेहतरीन पार्टनर बनने का कोई सटीक नुस्खा तो अभी ईजाद नहीं हो पाया है पर हल्की-फुल्की बातचीत दिमाग को प्रेशर से मुक्त जरूर कर देती है।
रिश्तों में गर्माहट बनाए रखने और नीरस होने से बचाने के कुछ मामूली से तरीके जरूर हैं जो  आपको एकदूसरे की नजर में ‘नंबर वन’ जीवन साथी बना सकते हैं। एक-दूसरे के प्रति कमिटमेंट बेहद जरूरी है। अगर पति-पत्नी अपने रिश्ते के संबंध में साझा मूल्य और लक्ष्य की ओर बढ़ें तो तमाम नीरस और तनाव भरे क्षण चुटकियों में दूर भगाये जा सकते हैंा आपसी विचारों और भावनाओं को साझा करें, एकदूसरे की जरूरतों को समझें और आदरभाव बनाए रखें।

प्रेमपूर्ण उत्साहजनक तरीके से जीवन भर किसी का साथ निभा पाना कोई हंसी-खेल नहीं है। दांपत्य को हमेशा उकताहट और नीरसता ही नहीं तबाह करती, बल्कि कई दफा रिश्तों में गर्माहट रखने में ही पिछड़ जाते हैं हम। बेहतरीन जीवनसाथी साबित होने के लिए जरूरी नहीं कि दोनों  के शौक एक जैसे हों या पसंद-नापसंद एक हो। पर अगर दांपत्य जीवन को सुखी और लंबा बनाए रखने के प्रति आप प्रतिबद्ध हैं एक-दूसरे को आजादी देने की पूरी गुंजाइश रखते हैं तो मतभेदों के बावजूद बीच का रास्ता निकल ही आता है। रिश्ते को बेहतर तरह से निभाने का मूल मंत्र है, उस पर सौ प्रतिशत विश्वास करना। किसी तरह का भय या शक दिल में जहां रखा आपने, समझिए प्रेम से दूर कर रहे हैं खुद को। विश्वास टूटने के भय से पहले ही उस पर शंकालू निगाह रखना, आपको कमजोर करता जाता है। प्रेम तो छूटता ही है, जो चीजें आपके पास होनी थीं, वे भी दूर होती जाती हैं।

जिसे आप प्यार करते हैं, उसे संपूर्णता के साथ स्वीकारें। उसकी अच्छाइयों को अपना लेना और कमियों का चुन-चुन कर सुबह-शाम गिनाते फिरना, आपके प्यार के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। जो है, जैसा है, उसको भर दीजिए प्यार से। संपूर्णता में प्यार करें। कमियों को कमियों की तरह लेना ही छोड़ दें। क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं हो सकता। कुछ कमियां तो आपमें भी होंगी। बहस के दौरान आप एक-दूसरे का तर्क नहीं सुनते। हमेशा दूसरा तर्क तैयार रखते हैं। पर बहस के दौरान धैर्य बनाए रखना, समझदारी से काम लेना और एक-दूसरे के प्रति सद्भाव बनाए रखना जरूरी है। मत भूलिए कि नकारात्मक मुद्दों पर भी स्वस्थ तरीके से बात हो सकती है।

बात चाहे प्यार की हो या उसके काम की, जितना हो सके, उसका उत्साह बढ़ाइए। यह कभी नहीं मानकर बैठ जाइए कि प्रोत्साहन की उसे जरूरत नहीं, क्योंकि हर किसी को बूस्ट-अप करना नहीं आता। और कोई कितना भी कहे पर हर किसी को तारीफ भाती है। यह बहुत जरूरी है, तो बस शुरू हो जाइए।

सम्मान देने से ही मिलता है। आप अपने जीवन साथी का सम्मान करेंगे तभी दूसरे भी उसे सम्मानित नजरों से देखेंगे। यदि आपने ही उसके बारे में अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया तो दूसरों को कैसे रोकेंगे। अपनी नाराजगी या नापसंद जरूर बताएं उसे। पर यह ख्याल रखें, कि उसका सम्मान किसी भी तरह दुखे नहीं।

यौन नजदीकी और रोमांस किसी भी दांपत्य जीवन का ऑक्सीजन है। कई बार हम रिश्तों में बुरा वक्त गुजार रहे हों तो हम बेहद थकेऔर दुखी महसूस करते हैं। अपनी व्यस्त जिंदगी में इस संकेत को नजरअंदाज कर देते हैं। अचानक देखेंगे कि आपसे शारीरिक संपर्क की इच्छा कम होने लगी है। कितनी भी अपनी मर्जी चलाने की आदत हो आपकी, बिना रूके या सोचे हर छोटी-बड़ी बात पर उनकी भी सलाह लें। आपको यह पता भी हो कि अमुक मामले में उनका रिएक्शन क्या होगा तो भी आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि आप उनसे पूछे जरूर। फिर अपने तर्क देकर आप वही करें जो आपकी मर्जी है, पर थोपें नहीं कुछ।

आप कुछ भी क्यों न करते हों, कुछ समय एक-दूसरे को जरूर दें। साथ में बैठ कर टीवी देख लेना, एक साथ डिनर करना या एक ही बिस्तर पर सो लेने से भावनात्मक नजदीकियां नहीं पनपती। कई रिश्तों में खटास सिर्फ इसीलिए आ जाती है कि वे मिल-बैठ कर कुछ मिनट बतियाते नहीं। दोस्तों/रिश्तेदारों की बुराई हो या दफ्तर की समस्या हल्का-फुल्का बांटने से दिमाग का प्रेशर भी तो कम होता है। 

इसलिए जिंदगी में रिश्ते बनाने से ज्यादा कठिन रिश्ते निभाना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति के मन को जानना आसान नहीं है। रिश्ते में चुप्पी ठीक नहीं है। आप सोच रहे हैं कि काम के बोझ से साथी आपसे ज्यादा बात नहीं करता। लेकिन साथी कम बात कर रहा है या चुप्पी साधे हुए है तो यह ब्रेक-अप के संकेत हो सकते हैं। 

बॉक्‍स

जहां तक हो सके छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज करें। साथ ही जिस बात से आपके साथी को गुस्सा आता है उस काम को न करने में ही भलाई है। अगर कोई पुरुष चाहे वह दुनिया का सबसे विनम्र और स्वीट व्यक्ति हो, बहस के बाद सॉरी नहीं कहेगा। रिश्तों मेंअहम को बीच में न लाएं। यदि आपका साथी आपसे बात नहीं कर रहा तो आप अपनी तरफ से पहल करें। आपकी बढ़ाया एक कदम आपके रिश्तों को नया जीवन दे सकता है।

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