Tuesday, October 18, 2011

न बाबा न

पं. महेश शर्मा
बड़े महानगरों की तरह मेरठ में भी यूथ सेक्स फैंटेसी को एंज्वॉय करने लगे हैं। इसका दुश्प्रभाव भी सामने उभरकर आया है। शहर के मनोचिकित्सक और साइकोलॉजिस्ट केवल मात्र अनुभव के लिए किए गए इस लव अफेयर्स को सही नहीं मानते। उनका मानना है कि जिस तरह के केस 18 से 25 आयु वर्ग के यूथ का आ रहा है वह चौकाने वाला है। 

शहर में 18 से लेकर 25 वर्श तक के युवाओं में यह फैंटेसी प्रचलन में आ गया है। ये फैंटेसी अब वैवाहिक जीवन को भी ििडस्टर्ब करता दिखाई देता है। ऐसा देखदेखी की वजह से हो रहा है। प्री मैरिज रिलेशन बनाने वाले युवाओं में ज्यादातर छात्र अच्छे घरों से ताल्लुक रखते हैं और वो वातावरण से ज्यादा प्रभावित होकर ये काम कर रहे हैं। फिर वही अपनी स्टोरी को दोस्तों के बीच बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। ऐसा केवल अनुभव के लिए करते हैं। इससे सहकर्मी छात्र भी ऐसा करने को प्रेरित होते हैं। साइक्रियाट्रिस्ट डाण् विपुल त्यागी कहते हैंए ऐसा यूथ द्वारा अपने आवेग व तात्कालिक संतुश्टि के लिए किया जाता है। उनके मन में जो भ्रांतियां होती है उसे भी दूर करने का प्रयास भर होता है। ऐसे में कई बार अपोजिट पार्टनर के साथ परफार्मेंस सही नहीं होने पर उनके समक्श प्रश्नचिन्ह उठ खड़ा होता है कि कहीं कोई कमी तो नहीं। ये कमी वैवाहिक जीवन के लिए परेशानी तोनहीं बनेगा। 

यही कारण है कि इस काम में शामिल युवा हमेशा टेंशन में रहते हैं। उनका टेंशन होता है कहीें ऐसा तो नहीं कि शादी के बाद असफल रह जाऊं।  ये सब इसलिए होता है कि प्रि मैरिज रिलेशन में अपोजिट पार्टनर के प्रति न तो वासना होता है और न ही प्यार है। जबकि शारीरिक संबंध बनाने के लिए इन दोनों में से किसी एक का होना जरूरी है। यानी ऐसा करने वाले युवा के मन में चिंता का प्रश्न पहले से ही होता है। चिंता के रहते आप कुछ करेंगे तो ऐसा होगा ही। क्योंकि दोनों बातें उसमें शामिल नहीं है। हद तो तब क्रॉस हो जाता है कि जब इन बातों को अपने साथियों के बीच में शान से बताते हैं। रोमांसए फैंटेसीए विडियो फूटेज से तो कई बार ऐसे युवा भी शिकार होते हैं जो सही रास्ते पर होते हैं। अच्छे बच्चे भी इसमें इसलिए फंस जाते हैं कि उनका कंसनट्रेशन बिगड़ जाता है। 

इस संबंध में मनोवैज्ञानिक डाण् विकास सैनी कहते हैंए ऐसे यूथ को शादी से पहले ही  मैरिज की चिंता सताने लगती है। मेक्सिमम परफार्म कर पाएंगे या नहीं। यह डर बना रहता है कि कहीं इससे दांपत्य जीवन में तालमेल बन पाएगा या नहीं। युवाओं को चाहिए कि वो फैंटेसी में न जिएं। दोस्ती करने में कोई बुराई नहीं है। और अगर दोस्ती आगे बढ़ती है भी है तो पहले मानसिक रूप से खुद को तैयार कर लेना चाहिए। अपने साथियों के बातों पर ध्यान देना तो इस मामले में हानिकारक साबित होता है। क्योंकि दोस्त कितना सही बता रहा है और कितना गलत यह तय नहीं होता। ऐसे में अगर आपने उसकी बातों को सही मान लिया तो स्थिति और गंभीर हो जाती है। इसलिए इस तरह का कोई भी काम अनुभव या फिर फैंटेसी के लिए नहीं करें। चूंकि मेल का अपना ईगो होता है जो ऐसा होने पर दुश्प्रभाव डालता है। 

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