Wednesday, December 8, 2010

प्यार को पहचान देने की कोशिश



                                                          डी के मिश्र
आज के युवा जितने स्मार्ट और माॅडर्न हैं 
उतने ही अपनी परंपरा और रस्मों-रिवाज
 से भी जुड़े हैं। उनकी यह कोशिश होती है 
कि वे घर परिवार और समाज को साथ लेकर
 चलें। यही कारण है कि वे शादी अपनी पसंद 
की लड़की या लड़का से करना चाहते हैं, 
लेकिन माता पिता के आशीर्वाद लेने के 
ख्वाहिशमंद भी होते हैं।


शादी के नाम से ही मन में रोमांस और रोमांच की अनुभूति होती है। बात आज के युवाओं की हो तो वे अपने रोमांस यानी प्यार को आगे बढ़ाते हुए अपनी पसंद से शादी करना चाहते हैं। इसे आप लव मैरेज कहें या फिर कुछ और पर वे लव मैरेज को अरेंज मैरेज की तरह करना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में शादी तो उसी से करना चाहते हैं जिससे प्यार किया है जीवन भर साथ निभाने का वायदा किया है पर अपने माता पिता की सहमति से ताकि उनका आशीर्वाद भी मिले सके और वे सामाजिक तौर तरीके साथ ही इस रिश्ते को आगे बढ़ा सकेें।  दरअसल आज के युवा कितने भी माडर्न हो गए हों, अपनी परंपरा और संस्कृति को वह छोड़ना नहीं चाहते। ऐसा इसलिए कि आज का युवा नासमझ नहीं है। वे जानते हैं कि विवाह केवल दो दिलों का मिलन नहीं अपितु दो परिवारों का भी मिलन है। दो परिवार मिलकर अपनी परंपरा के अनुसार ही शादी की व्यवस्था करते हैं, चाहे वे किसी भी जाति के हों, क्योंकि भारतीय समाज में शादी के विधि विधान और नियम एक परंपरा के रूप में होते रहे हैं। इसी रीति रिवाज और परंपरा के कारण युवा अरेंज मैरेज करना चाहते हैं। लड़का हो या लड़की अपनी पसंद के साथी को ही जीवनसाथी बनाना चाहते हैं। पर अपने माता पिता की सहमति से। यदि माता पिता राजी नहीं हो रहे हैं तो वे बाहर शादी कर सकते हैं, लेकिन वे ऐसा करके अपने माता पिता को दुखी नहीं करना चाहते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि उनके पैरेंट्स उनकी शादी पर सहमति की मुहर लगा दें। यदि वे शादी से खुश होंगे तो वे भी खुश रह पाएंगे। वे जानते हैं कि अरेंज मैरेज से उन्हें पैरेंट्स का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहेगा। यदि शादी के इस टेªंड का मनोवैज्ञानिक कारणों में जाते हैं तो यह पता चलता है कि युवा खुद को किसी न किसी तरह से असुरक्षा के भाव से ग्रस्त हो चले हैं।  मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि शादी में लड़के और लड़की वालों का साथ और सहमति मिलने से वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। यदि वे परिवार की सहमति के बिना ही शादी करते हैं तो उन्हें किसी प्रकार का पारिवारिक सहयोग और सहारा नहीं मिल पाता है। यह बात भी वे भली भांति जानते हैं। इसलिए वे खुद से लव मैरेज करने पर ससुराल में इज्जत मिलेगी। आज का युवा यह सब इसलिए सोचता है कि किसी भी बच्चे को उसके बचपन से ही अपने माता पिता और परिवार से कुछ संस्कार अवश्य मिलते हैं। यही संस्कार उसके मन में यह बोध पैदा कर रहा है कि सबके सामने शादी करके मान सम्मान बना रहता है, पर भागकर शादी करने या बिना पारिवारिक सहमति के शादी करने पर वह सम्मान नहीं रह पाता। समाज के लोग हमेशा यही कहेंगे कि उसने भागकर शादी की है। अरेंज मैरेज में जो खुशी मिलती है, उसे लड़का या लड़की मिस नहीं करना चाहते। लव मैरेज या तो कोर्ट में होगा या मंदिर में। ऐसा करने पर बस कुछ दोस्तों का साथ रहेगा। न तो अपने परिवारों का साथ मिलेगा और न शादी के धूम धड़ाके ही होंगे। बाॅक्स अरेंज मैरेज में अपने परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों का साथ तो मिलता ही है, साथ ही इसकी तैयारी करने का मजा और रीति रिवाजों को निभाने की खुशी भी मिलती है। बारात के साथ डांस करना हो या जयमाला के समय की नोक-झोंक वर वधू भी इन सभी चीजों को एंज्वाॅय करते हैं। इसलिए भी युवा आज अपनी पसंद से शादी करने पर भी अरेंज मैरेज करना पसंद करते हैं।

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