Wednesday, September 4, 2013

रहे महकती जीवन बगिया..

एक-दूसरे पर विश्वास सुखी और स्वस्थ दांपत्य की पहली और अनिवार्य शर्त है एक-दूसरे पर विश्वास करना। लोग खुद को सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं और विश्वास ही वह तत्व है जो साथ बनाए रखता है। यह विश्वास कि कोई हरदम आपके साथ है और उसके किसी व्यवहार से आप आहत नहीं होंगी। संबंधों के दीर्घकालिक होने के लिए विश्वास ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
एक-दूसरे का ध्यान
लंबे समय तक दांपत्य जीवन गुजार चुके लोगों का अनुभव है कि अब स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाने लगा है। साथ जीने में एक-दूसरे पर निर्भर होने की बात तो होती है, पर यह निर्भरता नकारात्मक वृत्तियों के लिए नहीं होनी चाहिए। वे नहीं समझते कि ऐसे मामलों में शामिल होने में उनका कोई नुकसान है। उनका अनुभव है कि शक्ति का संतुलन आपस में एक-दूसरे पर निर्भर रहने और एक-दूसरे का ध्यान रखने से ही बना रहता है। साथ ही यह भी कि आर्थिक समानता भावनात्मक समानता की गारंटी नहीं है, क्योंकि शक्ति संतुलन केवल वित्तीय संदर्भो में ही नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और विश्वास जैसे भावनात्मक मुद्दों पर आधारित होता है।
साथ रहने का सुख
दीर्घकालीन संबंध बनाए रखने वाले दंपति एक-दूसरे के साथ होने के सुख का भरपूर अहसास करते हैं। उनकी अभिरुचियां और गतिविधियां सामान्य से कुछ भिन्न होती हैं और उन्होंने इसे एक-दूसरे के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में सहयोगी महसूस किया। जब भी वे साथ रहते हैं, एक-दूसरे में पूरी दिलचस्पी लेते हैं।
अनुभव की शेय¨रग
इतिहास की साझेदारी रिश्तों की बुनावट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चो के जन्म, विवाह प्रस्ताव या विवाह की वर्षगांठ जैसे साझा अनुभवों को याद करना और उन पर बात करना रिश्तों की इमारत में सीमेंट का काम करता है। अनुभवों की यही साझेदारी दंपतियों को भविष्य के भी संदर्भ देती है। इससे उन्हें इस बात का अहसास होता है कि संबंधों में गर्मजोशी बरकरार रखने के लिए क्या करने की जरूरत होती है, क्योंकि सबके दांपत्य जीवन में दो-चार बार कठिन समय जरूर आए होते हैं और इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे साथ-साथ बढ़े हैं। पूरे आत्मविश्वास के साथ भविष्य का सामना करने की ताकत मिलती है। एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ता है और यह संबंधों को और पुख्ता बनाता है।
खुद को भाग्यशाली मानें
कई दंपतियों ने कहा कि उनके संबंधों के बने रहने में भाग्य ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे इस बात के लिए खुद को भाग्यशाली महसूस करते हैं कि उन्हें एक ऐसा साथी मिला जिसके साथ वे आगे बढ़ सकें। कई लोगों ने इस बात के लिए खुद को भाग्यशाली महसूस किया कि उन्हें अपने प्रिय की मौत, नौकरी या घर छोड़ने जैसी स्थितियों से जूझना नहीं पड़ा। जीवन की यात्रा अपेक्षाकृत आसान होने के लिए वे स्वयं को भाग्यशाली अनुभव करते हैं।
पत्नी की योग्यता का स्वागत
कुछ पुरुषों के सामने यह स्थिति आई कि उनकी पत्नी अचानक काम पर जाने लगी, क्योंकि पत्नी ने आय बढ़ाने की जरूरत महसूस की। इनमें कुछ लोगों के लिह यह एक बड़ी घटना थी, क्योंकि वे स्वयं को परिवार की धुरी के रूप में देखने के आदी थे। फिर भी उन्होंने जरूरतों को स्वीकार करते हुए स्थितियों को एक रचनात्मक मोड़ दिया और पत्नी के इस कदम का स्वागत किया। लंबे अरसे तक सुखद वैवाहिक जीवन गुजार चुके लोगों का मानना है कि जब उन्हें बदलाव की जरूरत महसूस हुई तो उन्हें इससे कोई भय नहीं लगा। उन्होंने बदलाव को संबंधों के खात्मे के तौर पर नहीं, बल्कि सिर्फ एक ऐसी परिस्थिति के रूप में देखा जिससे उबरना था, क्योंकि संबंधों की मजबूती उनके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी।
मतभेदों के साथ जीना
आप किसी पार्टी की समर्थक हैं और पति दूसरे के समर्थक। वह अपना राजनीतिक नजरिया बदल नहीं सकते तो आपको इन मतभेदों के साथ ही जीने की आदत डालनी चाहिए। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, 'ऐसी छोटी-छोटी बातों पर तकरार कर अपना पसीना और वक्त न गंवाएं। उन्हीं बातों में उलझें जिन्हें आप संयुक्त रूप से जीत सकें। बार-बार उन पुराने मुद्दों पर बहस करने में न उलझें जिन पर आप कई बार बहस कर चुकी हैं, क्योंकि अगर आप पुराने मुद्दों पर ही बहस करने में उलझी रहेंगी तो बेहतर चीजें हासिल नहीं कर सकेंगी। इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप महत्वपूर्ण मुद्दों को भी नजरअंदाज कर दें। आशय सिर्फ यह है कि मतभेदों को जीवन के अनिवार्य सत्य की तरह स्वीकार कर उनके साथ जीने की आदत डालें। विवाह ऐसे व्यक्ति के साथ न करें जिसके बगैर आप जी न सकें, बल्कि ऐसे व्यक्ति के साथ करें जिसके साथ आप जी सकें।'
स्थायित्व की धारणा
ज्यादातर बुजुर्ग दंपतियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने यह अपेक्षा नहीं की कि उनकी जिंदगी हमेशा खुशनुमा बनी रहे, पर यह अपेक्षा जरूर की कि उनके रिश्ते हर हाल में बने रहें। तमाम लोग उनके संबंधों की व्याख्या एक ऐसी गाड़ी के रूप में करते हैं जिसे चलाने के लिए दोनों को जोर लगाना पड़ता है। वे जानते हैं कि गृहस्थी की गाड़ी चला तो एक ही रहा है, पर दूसरा भी चुपचाप बैठा नहीं है। वह भी अपनी ओर से कोशिश कर रहा है।

Thursday, August 8, 2013

शादी से मिलता है प्यार को आधार



शादी जिंदगी की जरूरत है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि जो कल तक कुछ लोग जिस युवक की हंसी उड़ाते थे वही शादी के बाद उसे खुशी देखकर झुंझलाने लगते हैं। ऐसे वे लोग होते हैं जो शादी नहीं करते हैं या यूँ कहें कि उन्हें प्यार नसीब ही नही हो पाता।

लेकिन एक बात तो तय है कि शादी के बाद प्यार में पड़ते ही हर व्यक्ति बदल जाता है। उसके स्वभाव बोलचाल में अजीब-सा बदलाव जाता है। आप यह भी कह सकते हैं कि शादी के बंधन में बंधने के बाद उसकी इंसान की सकारात्मक सोच में इतनी ताकत हेाती है, जिसके सहारे लोग जीवन में तरक्की करते भी देखे गए हैं।
इसके विपरीत प्यार का एक दूसरा पहलू भी है। अगर आप दूसरे की भावना को नजरअंदाज करके सिर्फ मनमानी करें, तो वह खुद के ही लिए घातक हो सकता है। प्यार में आप हासिल तो बहुत कुछ करते हैं, पर कुछ कुछ खोते भी हैं। सबसे पहले आप स्वयं की स्वतंत्रता खो देते हैं। क्योंकि तब आपकी जिम्मेदारी किसी और के प्रति बढ़ जाती है। दूसरे रातों की नींद और दिन का चैन भी आपसे छिन जाता है। लेकिन इस छिन जाने में जो प्राप्ति है उस आनंद का अनुभव प्यार में गिरफ्तार व्यक्ति ही कर सकता है। सच कहूँ तो जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते है। और फिर भी सिक्के की कीमत एक होती है, उसी तरह प्यार में लुटकर भी आप आबाद ही होते हैं।

हालांकि प्यार को लेकर अब नजरिया लोगों का बदल गया है। पर यह तय है कि पहले की तरह शादी के बाद का प्यार हो या प्यार के शादी और फिर प्यार, प्यार तो प्यार ही होता है। चाहे आज का प्यार हो या कल का। आज पहली नजर के प्यार को लोग भले ही कुछ भी कहें पर ऐसा तो पहले से होता आया है। हाँ, आज के प्यार के चलते समाज में खुलापन जरूर आया है। यह शायद ढेर सारे माध्यमों की वजह से सिमट रही दुनिया का असर हो, फिर भी मैं इसे सकारात्मक संकेत मानती हूँ। अब कोई यदि किसी से प्यार करता है, तो उसे छिपाता नहीं, जबकि पहले यह सब पर्दे पर ही होता था।

दरअसल पहले के प्यार की परिणति शादी होती थी, लेकिन आज के दौर में जरूरी नहीं रहा कि आप जिससे प्यार करते हैं, आखिर में गृहस्थी भी उसी के साथ बसाएँ। वैसे, कल का प्यार कल के हिसाब से ठीक था तो आज के हिसाब से आज का प्यार भी अनुचित नहीं है। क्योंकि प्यार में कोई शर्त नहीं होती, मगर प्यार में अधिकांश लोगों की चाहत इतनी ज्यादा होती है कि प्यार हासिल करने में काफी मुश्किल होती है।

आजकल तो लड़के और लड़कियाँ दोनों को प्यार में आकर्शण, सादगी, ईमानदारी, सफाई पसंद, गुड सेंस आफ ह्यूमर या फिर जाॅर्ज क्लूनी की तरह दिलचस्त व्यक्ति ही चाहिए। यानी आज के युवा प्यार में सबकुछ पा लेना चाहते हैं। आप यह कह सकते हैं कि अब प्यार में बहुत फर्क गया है।

असल में यह सब व्यक्ति दर व्यक्ति निर्भर करता है। लैला मजनूं और शीरीं-फरहाद की गाथाओं वाले इस देश में अब भी ऐसे ढेरों लोग मिल जाएंगे, जो मिलन होने पर आजीवन कंुवारे रह गए, लेकिन यहीं पर सुबह बाॅयफ्रेंड, तो शाम को गर्लफ्रेंड बदलने वालों की भी कमी नहीं है। मेरे ख्याल से जिंदगी इतनी फास्ट है कि किसी को भी ठहर कर सोचने या पीछे मुड़कर देखने की फुर्सत नहीं कि कल हमारे लिए कौन अपरिहार्य था। लेकिन कुछ भी हो अब मानसिकता बदलने की एक बार फिर से जरूरत गई है, क्योंकि प्यार अब उच्छृंखल हो गया है जो किसी भी रूप में अच्छा नहीं है।

रिश्ते रहें जीवंत

किसी करीबी से झगड़ा हो जाए तो केवल एक चीज रिश्ते को बनाती या नष्ट करती है, वह है-दृष्टिकोण। परिवार, मित्रों, पड़ोसी या सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध बनाए बगैर जीवन अच्छा नहीं हो सकता। शुरुआत परिवार से होती है। घरेलू रिश्ते अच्छे है तो सामाजिक रिश्ते भी बेहतर होंगे। संबंधों का प्रभाव करियर, सामाजिक-मानसिक एवं आर्थिक स्थितियों पर पड़ता है। 10 टिप्स रिश्तों की बेहतरी के।

1. माता-पिता याद रखें कि कोई दूसरा उनके बच्चों की जिंदगी में उनकी जगह नहीं ले सकता, भले ही वह उनका जीवनसाथी क्यों न हो। युवा-विवाहित बच्चों की जिंदगी में वहीं तक हस्तक्षेप करे, जहां तक उनकी जिंदगी न प्रभावित हो। उनके विचारों को भी अहमियत दें और जरूरत पड़ने पर उनसे सलाह भी लें।

2. सामंजस्य की समस्या वैचारिक मतभेदों के कारण होती है। नए विचारों की अहमियत भी समझें। बुजुर्ग युवाओं को व्यावहारिक सहयोग दे। यह न केवल उन्हे ऊर्जावान बनाए रखेगा, बच्चों को भी उनके प्रति संवेदनशील बनाएगा। युवा भी जरूरी मसलों पर बड़ों को प्राथमिकता दें। उनसे मदद लेने में न हिचकें।

3. बिना समय दिए संबंध अच्छे नहीं हो सकते। परिवार के साथ महीने में एकाध बार घूमने जाएं, दिन में एक वक्त का खाना अवश्य साथ खाएं, खेलें, मूवी देखें, गपशप करें..।

4. शब्द बहुत-कुछ कहते है। जब तक मुंह नहीं खोलेंगे, दूसरा कैसे समझेगा। जो कुछ मन में है, उसे साझा करें। रिश्तों में संवादहीनता की स्थिति न आने दें। इससे गलतफहमियां पैदा होती है और रिश्तों में दरार पड़ती है।

5. तारीफ करें। इसका अर्थ है कि आप दूसरे के गुणों का सम्मान कर रहे है। लेकिन प्रशंसा या चाटुकारिता में फर्क होता है। इस महीन रेखा को लांघने से बचें।

6. पक्षपात न करे। घर में है तो दो बच्चों के बीच तुलना न करे या किसी एक का पक्ष न लें। ऑफिस में भी खयाल रखें कि किसी के प्रति अति-अनुराग कहीं आपको पक्षपात के लिए तो नहीं उकसा रहा है। सच के साथ खड़े हों। गलत को बढ़ावा न दें।

7. करीबी रिश्ते में भी थोड़ी औपचारिकता जरूरी है, अन्यथा रिश्तों में सम्मान-भावना कम होती है। घनिष्ठ मित्र से भी कभी उसकी निजी जिंदगी के बारे में ऐसे प्रश्न न करे, जिनमें वह असहज महसूस करे। लेकिन यदि वह अपनी समस्या बताना चाहे तो जरूर साझा करें। जरूरी हो तो मदद दें, हल भी सुझाएं।

8. परनिंदा से बचे। वास्तव में किसी के शुभचिंतक है तो उसकी गलतियां उसे ही बताएं, दूसरे को नहीं। ऑफिस में भी ध्यान रखें कि वहां बातों के केंद्र में कार्य हो। दूसरों की निजी बातों को चर्चा का विषय न बनाएं।

9. संबंधों में सबसे हानिकारक है अहं। विवाद की स्थिति में 'मैं उसे क्यों मनाऊं', 'मैं पहल क्यों करूं?,' 'मैं ही क्यों झुकूं?' जैसी स्थिति न आने दें। दूसरा पक्ष भी ऐसे ही सोचे तो निबाह कैसे होगा! किसी एक को तो अहं का त्याग करना होगा। यह संबंधों को जीवंत बनाए रखने की कुंजी है, इसे गांठ बांध लें।

10. कहते है दोस्ती का रिश्ता सबसे पवित्र होता है। ऐसा दोस्त जिसके साथ आप हंसें, रोएं, बातें कर सकें, जो आपको समझे, बुरे दिनों में साथ दे, किस्मत से ही मिलता है। अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो उसे न खोएं। उसे भी अपना प्यार, स्नेह, सहयोग, मदद दें। उसकी खुशियों और दुख में उसके साथ खड़े हों।

Friday, July 19, 2013

प्यार की करें आराम से देखभाल

हर मौसम की मार को झेलने के लिए प्यार को हर पल सींचना जरूरी है। मौसम बदलते ही सर्द-गर्म का हल्का सा झटका लगते ही वह मुरझा जाएगा। अगर आप अपने प्यार को सात जन्मों तक जिंदा रखना चाहते हैं, तो उसे लान के पौधों की तरह हर रोज सींचना जरूरी है, ताकि वो हर पल रहे तरोताजा और आपका चेहरा नजर आए खिला खिला।

रिश्ते उस हरी घास की तरह होते हैं, जिसे नियमित देखभाल की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही और मौसम के थपेड़ों के कारण जैसे मखमली घास सूख जाती है, रिश्तों पर भी लापरवाही का कुछ ऐसा ही असर होता है। वक्त के साथ रिश्तों के पैमाने भी बदले हैं। जितनी तेजी और आसानी से अब रिश्ते कायम हो रहे हैं, उनके टूटने की गति भी उतनी ही तेज है। ऐसे में एक सफल वैवाहिक जीवन का सूत्र क्या हो इस पर ध्यान देना जरूरी है।

दरअसल खुशनुमा शादीशुदा जिंदगी का कोई बना बनाया फार्मूला नहीं होता पर कुछ बातों को ध्यान में रखकर तनाव और परेशानियों को दूर भगाया जा सकता है।

 
किसी भी रिश्ते की बुनियाद उसकी नींव होती है, एक-दूसरे पर विश्वास और रिश्ते के प्रति ईमानदारी। आपकी शादीशुदा जिंदगी में किसी तरह की परेशानी को आने से रोकने के लिए आवश्यक है। इसके लिए कम से कम किसी बातों को एक दूसरे से छुपाएं नहीं और ज्यादा से जदा बातें शेयर करें। अगर आप दोनों रिश्ते के प्रति शुरुआत से ईमानदारी बरतेंगे, तो आपको रिश्ते से संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  
 
एक दूसरे के लक्ष्य, आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के बारे में समझ होनी जरूरी है। इन सब विषयों पर खुलकर बातें करें। तभी आप अपने जीवनसाथी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उनकी मदद कर पाएंगी और जरूरत पड़ने पर आप एक दूसरे को सहारा भी दे पाएंगी।

 
किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए आपसी संवाद बेहद जरूरी है। यह मानकर चलें कि आपका जीवनसाथी आपके मन की बात बिना बताए भी समझ जाएगा। ऐसा संभव नहीं है। बातें शेयर नहीं करने से गलतफहमियां बढ़ेंगी। किसी बात पर मन मुटाव होने की स्थिति में तुमने ऐसा किया यानी सीधे दोषारोपण करने की जगह यह कहें कि तुम्हारे ऐसा करने से मुझे दुख हुआ। तुम की जगह ज्यादा से ज्यादा मंै शब्द का प्रयोग करें।

इस बात को समझना जरूरी है कि पुरुष और महिला सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूपसे भी एक-दूसरे से अलग हैं। दोनों के सोचने का तरीका अलग-अलग होता है। सिर्फ इतना ही नहीं, किसी समस्या का हल ढूंढने के दोनों के तरीके में भी अंतर होता है। यह सोचकर किसी व्यक्ति से शादी करें कि वह बिल्कुल आपके जैसा है। इस अलगाव को एंज्वाॅय कर पाने की कला किसी रिश्ते की सफलता का मंत्र है।
  
रिश्ते की सफलता के लिए जरूरी है कि किसी भी विषय पर पूर्व नियोजित रुख अपनाने की जगह लचीला रुख अपनाएँ। विभिन्न मुद्दों पर अपनी सोच में लचीलापन लाएँ ताकि आनेवाली नई परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाने में परेशानी हो।

प्यार और एक दूसरे के लिए सम्मान किसी भी रिश्ते की आधार होती है। एक-दूसरे में खामियाँ निकालने की जगह एक दूसरे का सम्मान करें, जो आपको अच्छी लगती हैं। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों या किसी भी बाहरवाले के सामने एक दूसरे का मजाक उड़ाएं।

आज के जमाने में पति-पत्नी दोनों का कामकाजी होना सामान्य है। वो दिन गए जब पत्नी घर की कमान संभालती थी और पति पैसे कमाकर लाता था। इसलिए हर मामले में जिम्मेदारी बराबर मात्रा में बांटें। अगर पति-पत्नी में से किसी एक व्यक्ति पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी, तो परेशानियां और मतभेद होना लाजमी है।
परेशानी बताएँ- एक-दूसरे की शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों का पूरा ध्यान रखें। अगर आपको कोई बात भावनात्मक रूप परेशान कर रही है, तो उसे मन में छुपा कर रखने की जगह अपने जीवनसाथी से शेयर करें। किसी भी परेशानी को अपने मन का बोझ बनने दें।

कोई भी परफेक्ट नहीं होता। अगर आपको अपने पति में कुछ खामियां नजर रही हंै तो तय है कि आपमें भी कुछ कुछ खामियाँ होंगी। अगर आपके साथ से कुछ गलती हो गई है, तो उसके लिए उसे माफ कर जिंदगी में आगे बढ़ना सीखें। किसी भी विषय को मुद्दा बनाकर आपसी रिश्ते को प्रभावित होने दें।
  
 
अपने रिश्ते में एक दूसरे को प्राथमिकता दें। आपके परिवार के अन्य सदस्यों, यहाँ तक कि आपके बच्चों का नाम भी इस लिस्ट में बाद में आना चाहिए। जब आप एक दूसरे को और सभी चीजों से ऊपर रखेंगे, तो आपका रिश्ता भी मजबूत होगा।