Monday, September 10, 2012

दूर रहकर भी पास का अहसास करें

पं. महेश शर्मा
सामान्यतया देखा गया है कि लांग डिस्टेंस रिलेशन ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाते हैं। स्थानों में दूरियों के साथ ही दिलों में भी दूरियां आ जाती हैं और जैसे-जैसे समय बीतता जाता है ये दूरियां बढती जाती हैं। ऐसा होने की खास वजह है कि लोग लांग डिस्टेंस रिलेशन में अपनी भावनाओं को जाहिर करने में विफल हो जाते हैं। पास रहकर रिश्तों में अपनी भावनाओं को मेल-मुलाकातों, चुंबनों और आलिंगन के द्वारा जाहिर किया जा सकता है, लेकिन जब बात लांग डिस्टेंस रिलेशन की हो तब क्या किया जाए। अगर आप भी लांग डिस्टेंस रिलेशन में हैं तो नीचे दिए गए कुछ आसान से टिप्स अपनाएं और रिलेशन को टूटने से बचाएं। एक समय निर्धारित करें जिसमें रोजाना आप एक-दूसरे से बात करें। एक-दूसरे से कॉन्टेक्ट करने में लंबा अंतराल न रखें। उन्हें रोज रात को सोने से पहले कॉल, मैसेज करें। उनसे उनकी होल डे एक्टिविटी के बारे में पूछें और अपनी एक्टिविटी भी बताएं। 

वीडियो चैट करें, ई-मेल करें। जितना हो सके एक-दूसरे के कॉन्टेक्ट में रहें। अपने पार्टनर के सेल में रोमांटिक मैसेज ड्रॉप करें। कोशिश करें जब आपका पार्टनर सुबह सो कर उठे और अपना सेल देखे तब उसे आपका प्यार भरा संदेश मिले। जब भी आप वीडियो चैट करें तो इसे एक डेट के रूप में लें। अच्छे से तैयार हों उनके लिए फ्लॉवर्स लें। इससे आपके प्यार का एहसास आपके हमदम के दिल और दिमाग में हमेशा कायम रहेगा। 

अपने हमदम के लिए टाइम निकालें और अचानक से उनके पास पहुंचकर उन्हें सरप्राइज करें। ओकेजनली उन्हें कार्ड, गिफ्ट्स, चॉकलेट्स भेजना न भूलें। एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखें। बिना वजह शक न करें। ई-कार्ड से अपनी भावनाओं को जीवंत रूप दें। अपने संवादों में आई लव यू, आई मिस यू वाक्यों का भरपूर प्रयोग करें। उन्हें अपने कमिटमेंट का भी एहसास कराएं। हैंडमेड ग्रीटिंग्स, लव लेटर, कविताओं को भी उन तक पहुचाएं। हमेशा सकारात्मक सोच रखें। याद रखें कि ये महज कुछ समय की ही दूरी है, जीवन भर की नहीं। 

इसके साथ ही संबंधों में सहजता के आपसी समक्षदारी पर जोर दें। कार्यस्थान की वजह से दूरी भले ही पर आप ऐसा तालमेल बनाकर चलें कि ये दूरी भी आपको नजदीकी का ही अहसास कराये। इससे एक तो आपके संबंधों में मिठास बनी रहेगी दूसरी बात ये कि आप इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त रहेंगे कि जो भी स्थितियां हैं वो कोई अहसज स्थिति नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के हित में ही तो आप दूर-दूर होकर भी पास-पास से लगते ह

रिश्तों में मिठास के मूलमंत्र

पं. महेश शर्मा
पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर लिए गए सात फेरे जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं जिसमें प्यार, संयम, समझदारी के साथ जिंदगी भर साथ निभाने का वादा होता है।

अगर आप विवाह के पवित्र बंधन में बंधने जा रहे हैं, तो इन वचनों का खास ध्यान रखें ताकि रिश्तों में नयापन, प्यार और विश्वास ताउम्र बना रहे। भारतीय परंपरा में हमेशा से ही सात नंबर को आध्यात्मिकता से परिपूर्ण और चिरायु प्रदान करने वाली संख्या माना जाता रहा है, क्योंकि सात नंबर अपने अंदर बड़े गूढ़, आध्यात्मिक दर्शन और पारलौकिक अर्थ छिपाए हुए हैं। इस पुण्य संख्या के साथ ही जुड़ी है सप्तपदी यानि दो आत्माओं के मिलन के लिए मांगी गई ईश्वरीय स्वीकृति। इस रीति के बिना विवाह संपन्न नहीं हो सकता, क्योंकि जब तक वर-वधू ये सात कदम नहीं चलते, विवाह अधूरा ही रहता है।

सप्तपदी भी एक ऐसी रस्म है जहां साथ रखे हर कदम के साथ वर-वधू एक-दूसरे से सात जन्म तक का साथ निभाने का वादा करते हैं, पर आज के बदलते परिवेश में ये सात वचन कब टूट जाते हैं पता ही नही चलता। सात जन्मों का साथ वाकई सात जन्मों तक बना रहे तो सात फेरों के साथ जरूरी है इन बातों का ख्याल रखना ताकि आपके रिश्तों में प्यार की मिठास और खुशियां बनी रहे :

अटूट कड़ी - दाम्पत्य की कड़ी अटूट है। यह पूरी तरह से विश्वास पर आधारित है। पति-पत्नी के रिश्ते का मूल आधार ही यही होता है। इसलिए इसमें शक न लाएं क्योंकि अगर यह एक बार आ जाता है तो पूरी जिंदगी लग जाती है टूटी कड़ी जोडने में, इसलिए जरूरी है कि विश्वास की नींव हिलने न दें, बल्कि इतनी मजबूत बनाएं कि प्रचंड आंधी भी इसे हिला न सके।

प्लानिंग करके चलें - विवाह के बाद अपनी गृहस्थी, बचत व निवेश की योजनाएं बनाएं और इसके साथ फैमिली प्लानिंग भी करके चलें ताकि अनचाहे गर्भ से बचा जा सके और अपनी सुविधानुसार फैमिली बढाई जा सके।

परफेक्ट की बात न करें - कोई इंसान परफेक्ट नही होता है, इसलिए एक-दूसरे में गलतियां न निकालें बल्कि गलतियों को सुधारने का मौका दें। अपने प्यार में इतनी ताकत लाएं कि सामने वाला अपनी कमियों को आपके कहे बिना ही सुधार लें।


अनुकूल लाएं - उनकी पसंद के अनुरूप कार्य करें। मतलब ये नियम अपनाएं जो तुमको हो पसंद वही बात कहेगें। फिर चाहे वह टीवी देखने का हो या फिर घूमने का, उनकी पसंद को अपनी पसंद बनाएं।

सफाई न मांगे - अगर पार्टनर खर्चीली प्रवृत्ति वाला है तो कोशिश करें कि खर्चे की सफाई ना मांगे, क्योंकि उनके अपने भी खर्चे होते हैं जिन्हें पूछना व बताना, झग़डे को बढ़ावा देने जैसा होता है, क्योंकि खर्चे करने का हक दोनों का होता है।

सरप्राइज गिफ्ट - एक-दूसरे को सरप्राइज जरूर दें। पर झटके वाले ना हों, मतलब जिससे आपका बजट ना बिगडे़ और पार्टनर भी सरप्राइज देखकर खुश हो जाएं।

समय जरूर दें - आप चाहें कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, पर एक-दूसरे को समय जरूर दें क्योंकि कई बार समय की कमीं के कारण रिश्ते बिखरने लगते हैं। इसलिए अपने पार्टनर के लिए समय जरूर निकालें।

कमियां न गिनाएं - रिश्ते में एक-दूसरे के घर की कमियां जरूर गिनाई जाती हैं, इसलिए जरूरत हो तो बुराई तो करें पर बुराई को झगडे़ का रूप ना दें।

गलती कहने की आदत डालें - गलती होने पर माफी जरूर मांगे, क्योंकि सॉरी कहना बुरी बात नहीं है और ना ही माफ करना मुश्किल काम है। साथ ही माफी मांगने से झगडा आगे नही बढता, इसलिए माफी मांगने में कंजूसी ना करें।

स्पेस दें - कहते हैं रिश्ते में स्पेस जरूरी होता है क्योंकि दूरी से प्यार झलकता है। इसलिए अपने रिश्ते में थोडी दूरी बनाए रखें ताकि आपको उनकी कमी का एहसास हो।

फैसला अकेले न करें - घर का फैसला हो या फिर अपने लिए कोई भी फैसला अकेले ना लें, बल्कि एक-दूसरे के सलाह-मशविरा लेकर ही फैसला करें। कहते हैं कि खुशियां हमारे आस-पास ही होती हैं,बस उन्हें ढूंढने की जरूरत होती है इसलिए जीवन के हर पल में खुशियां ढूंढे। कभी-कभी हार मान लेना गलत नहीं होता है, इसलिए अगर आपकी गलती नहीे है तो भी हार मान लें। आपका ये व्यवहार देखकर वो आपके आभारी हो जाएंगे।

झगड़ा खत्म करें - अगर आपका किसी बात पर झगड़ा हो गया है तो बिस्तर पर जाने से पहले झगड़े को खत्म कर लें ताकि बिस्तर पर बातें हों तो सिर्फ प्यार की। शादी के बाद अगर आपके साथी का कोई शौक पूरा नहीं हो पाया है तो उसे पूरा करने का मौका व सहयोग दें और उसके शौक व रूचियों को बरकरार रखें। शौक को पूरा करने में मदद

Tuesday, September 4, 2012

क्यूं न ठहर जाएं नजरें

पं. महेश शर्मा
यदि आप भीड़ में सबसे अलग दिखना चाहती हैं तो  तो किसी विशेष अवसर पार्टी, पिकनिक आदि के लिए ड्रेसअप होते समय अपने आउटफि  और मेकअप पर ही नहीं, बल्कि नाखूनों पर भी गौर फरमाइए। 

यूं तो नेलआर्ट की कई एडवांस्ड तकनीकें हैं, जिनमें एयरब्रशिंग, स्टेंसिलिंग, पॉलीमार क्ले थ्री-डी इफेक्ट, फॉइलिंग आदि प्रमुख हैं लेकिन इनमें विशेष उपकरणों का प्रयोग होता है। साथ ही प्रशिक्षण की आवश्यकता भी पड़ती है। चलिये हम आपको बता रहे हैं नेल आर्ट के कुछ आसान लेकिन आकर्षक तरीके, जिन्हें घर पर उपलब्ध सामग्री से बिना किसी परेशानी के बनाया जा सकता है ।

पोल्का डॉट नेल्स

ये बहुत प्रचलित और आसान तरीका है । इसे बनाने के लिए नाखूनों पर पहले बेस कोट अप्लाई करें। फिर अपने मनचाहे नेल पेंट के एक दो कोट लगाएं, इन्हें पूरी तरह सूखने दें। अब दूसरे नेल पेंट और महीन ब्रश की सहायता से नाखूनों पर छोटी-छोटी डॉट्स लगाएं। डॉट्स का साइज और संख्या बदल-बदलकर आप असंख्य पैटर्न क्रिएट कर सकती हैं। पिकनिक पर जाते समय ये पैटर्न ट्राई करें, सबके आकर्षण का केंद्र बन जाएंगी।

स्ट्राइप्ड नेल्स

नाखूनों पर बेस कोट लगाएं। इन पर रेड नेल पेंट लगाएं। नेल पेंट सूख जाने के बाद ब्लैक एक्रेलिक पेंट में महीन ब्रश डुबोकर उस पर सीधी लाइनें बनाएं। इसी तरह सभी नेल्स पर एक ही तरह का पैटर्न बनाएं । आप चाहें तो जेब्रा प्रिंट पैटर्न भी बना सकती हैं लेकिन पहले अलग शीट पर प्रेक्टिस कर लें ताकि नाखून खराब न हों ।

ज्वैल्ड नेल्स

अपने नाखूनों पर बेसकोट लगाएं । इस पर मनचाहा नेल पेंट अप्लाई करें। अब ऑरेंज स्टिक को पानी से गीला करें और नाखूनों पर जो भी नग, कुंदन, डायमंड या बीड्स लगाना चाहती हैं, उस पर रखें ताकि नग इत्यादि उस पर चिपक जाएं। अब इसे नाखूनों पर हल्का प्रेस करें। नग नेलपेंट पर चिपक जाएंगे । इसी तरह अन्य स्टोन, कुंदन इत्यादि नाखूनों पर लगाकर इन्हें ज्वैल्ड लुक दिया जा सकता है। ये सावधानी जरूर रखें कि नेल पेंट सूखने से पहले ही उस पर स्टोन इत्यादि लगा दें। अंत में टॉप कोट अप्लाई करें। ये लुक रात की पार्टी इत्यादि के लिए परफेक्ट है ।

डेजी फ्लॉवर नेल्स

नाखूनों पर बेस कोट और मनचाहा नेल पेंट अप्लाई करें, इसे सूखने दें। एक कलर पैलेट पर एक-एक ड्रॉप ऑरेंज, व्हाइट और ग्रीन एक्रेलिक पेंट की रखें। अब एक टूथपिक को ऑरेंज पेंट में डिप करें और इससे नाखूनों के बीच में एक डॉट लगाएं। ये फूल का सेंटर है। इसी तरह सभी नेल्स पर पहले फूल का सेंटर पार्ट बनाएं। फिर दूसरी टूथपिक को सफेद पेंट में डिप करके इसके आसपास डेजी फ्लॉवर की पत्तियो का लुक देती हुई डॉट्स लगाएं । अब महीन ब्रश और ग्रीन पेंट से स्टेम तथा पत्तियां बनाएं। दिन के किसी फं क्शन में सुंदर डेजी फ्लॉवर नेल्स ट्राई करें, बहुत बढिया लगेंगे।

कुछ खास

सर्वप्रथम बेस कोट लगाएं, इसे सूखने दें। फिर मनचाहा नेल पेंट लगाएं।
नेल पेंट के सूखने के बाद ही उस पर कोई डिजाइन बनाएं, लेकिन ज्वैल्ड नेल्स में नेल पेंट सूखने के पहले ही स्टोन, नग इत्यादि लगाएं ताकि ये ठीक से चिपक सकें।
अंत में टॉप कोट लगाने से डिजाइन ज्यादा समय तक टिकी रहेगी ।

खो गई स्त्रियों की सुंदरता


पं महेश शर्मा

उसके बोलने के अंदाज में कर्कशता वरबस ही उसके व्यक्तित्व को अलग ही मोड़ दे रही है। पुरुष के कंधे से कंधा मिलाना कहिए या मजबूरी, पेट की खातिर कहिए या शौकिया, इस व्यस्त जीवन में स्त्री में संवेदनशीलता, सहनशीलता , सादगी अब अतीत की चादर ओढने लगी है।

वर्षों पूर्व की बातें है नीलम आज अचानक नलिनी शापिंग करते समय शहर में मिली थी, लेकिन आज वह बहुत बदली बदली सी थी। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास तो था पर इसकी कीमत उसे कहीं ज्यादा देनी पड़ी। वह अपने विनम्र स्वभाव, सौम्यता, अपने पहनावे, बात करने के अंदाज, तहजीब, हंसमुख व आभायुक्त आकर्षक चेहरे के कारण हमेशा हमारे बीच चर्चा का विषय रही थी। उसकी नजर में एक अपनत्व का भाव था जिसके कारण वह बरबस किसी अजनबी को भी आकर्षित कर लेती थी। अब उसके चेहरे को देखने के बाद दूर दूर तक ऐसा नहीं लगता कि नीलम वही है।

किसी पुराने दोस्तों से उसके इस रूप की चर्चा करूं तो वह सहसा विश्वास भी नहीं करेंगे। क्योकि नलिनी हम लोगों के बीच अच्छे विचारों और संस्कारों के लिए जानी जाती थी। लेकिन आज वही दुकानदार से इतने कर्कश लहजे में बात करती हुई दिखी। जो पहले सभी से नम्रत से पेश आती थी आज पुरुषों के लिबास पहने हुए थी, छोटे छोटे बाल किए जिसके कभी काले लंबे बाल थे। वह इतना कांतिहीन दिखाई देगी यह मैंेने सपने में भी नहीं सोचा था। आज उसके चेहरे पर लिपटी कठोरता व टपकती धूर्तता को देखकर मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या वास्तव में जीवन के संघर्ष और अपने अस्तित्व का ेस्थापित करने की लड़ाई ने स्त्री की सौम्यता व कमनीयता को नष्ट कर दिया है!

क्या सचमुच आज पुरुष के कंधे से कंघा मिलाने की होड़ में या समाज में अपने अस्तित्व को कायम करने की दौड़ में शामिल होने के लिए अपनी सौम्यता को समाप्त कर दिया है। नलिनी ने पूछने पर बताया कि वह आजकल इसी शहर में किसी बैंक में कार्यरत हैं। पतिदेव चाहते थे कि वह अपनी योग्यता को पहचाने तथा समाज में अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम करे।

यही कारण है कि वह आज इस मुकाम पर है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उसको अपने विशेष गुण, जिसके लिए काॅलेज के दिनों में आकर्षण का केंद्र थी खोना पड़ा। काॅलेज के रोमानी व मस्ती से भरे दिन के समाप्त हो जाने के पश्चात उसने ज्यों ही जिंदगी की दौड ़धूप और व्यस्त भौतिक जीवन में सांसारिक जिम्मेदारी व समाज में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए कदम रखा त्यों ही उसे अपनी सौम्यता को लगभग त्यागना पड़ा। अब न उसकी पहले वाली कोमलता है न पहले की तरह पहनावा और नम्रता। अब तो बस अपनी सुविधानुसार पुरुष लिबास, सुविधा के लिए किए गए छोटै बाल, एवं लिपे पुते चेहरे के साथ कर्कष आवाज में उसकी पहले की छवि धुंधला गई है।


यह केवल नीलम की बात नहीं है। हर उस उत्री की बात है जो वर्तमान समाज में अपने अस्तित्व को ढूढने के लिए घर के दरवाजे के बाहर कदम रखती है, जो पुरुष से कंधे से कंधे मिलाने के लिए निकलती है। यह तो तय है कि धीरे धीरे स्वयं ही दुनिया की दौड़धूप में इस व्यस्तता भरे भौतिक जीवन को आपाधापी में अपने को झोंकने के लिए वह स्वत ही मजबूर हो गई है।

मूडी पार्टनर के साथ जीने के नुस्खे

पं. महेश शर्मा

अगर आपका पार्टर मूडी है तो भी आप वैवाहिक जीवन को खुशी-खुशी जी सकती हैं। आपको इसके लिए कुछ प्रयास करने होंगे। इस प्रयास में आप सफल भी हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए त्याग, धैर्य, सही सोच व शांत दिमाग की जरूरत होती है।

मूडी साथी मिलने का यह अर्थ नहीं है कि जिंदगी बेकार हो गई। निरंतर कोशिशें इन स्थितियों से उबार सकती हैं। आपको जरूरत है शादीशुदा जिंदगी की एक सामान्य समस्या को समझने की। सामान्यतया यह देखा जाता है कि उस समय आपके सारे मंसूबे धरे रह जाते हैं, जब मूडी पार्टनर से पाला पड़ता है। अच्छी पत्नी बनना आसान नहीं, लेकिन तब यह और मुश्किल होता है, जब पति मूडी हो। मूडी लोगों को समझना वाकई कठिन होता है। समझदारी और सकारात्मक नजरिये से स्थितियों को सुधारा जा सकता है।

1. शांत रहें। पति मूडी, उखड़ा-उखड़ा या उदास सा है तो खुद को शांत रखें। शांति से ही पत्नी घर के माहौल को बचाए रख सकती है।

2. साथी जरूरतें समझें। जो वह कह रहा है उन शब्दों का मर्म समझें। दुर्भाग्य से लोग यह नहीं समझ पाते कि ऐसी स्थिति में पारस्परिक संवाद कैसे जारी रखें। पति को भी केयर की जरूरत होती है। अगर कोई तरकीब काम न आये तो उसे कुछ समय अकेले छोड़ दें, ताकि वह कुंठा से बाहर निकल सके।

3. तो सकता है कि किसी खास कारण के चलते पति हीन महसूस कर रहा हो, अपेक्षित सफलता न मिलने से निराश हों। ऐसे में उसे पत्नी की सहानुभूति की आवश्यकता है।

4. घर का माहौल खुशगवार बनाए रखें। उसे व्यवस्थित रखें। जब पति को महसूस होगा कि उसकी पत्नी उसे खुष करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है तो संभव है धीरे धीरे वह अपनी मनोदशा से बाहर निकल जाए।

5. खुद को उदासीस और निराशा से बचाएं। अपनी सामान्य गतिविधियां बनाए रखें। अपना ध्यान रखें।

6. यदि पति स्वभाव से मूडी है तो उसे बदलने के बजाय खुद मस्त रहने की कोशिश करें। वह सामाािजक नहीं हैं तो पत्नी अपना दायरा बढ़ाए। पति के स्वभाव के कारण अपनी दुनियाि को सीमित न करें। हो सकता है, कभी पति पत्नी का अनुसरण करने लगे।

7. संबंधों पर आधारित पुस्तके भी कई बार मददगार साबित हो सकती हैं। अगर परेशानी किसी भी तरह हल न हो रही हो तो किसी काउंसलर की मदद ली जा सकती है।

8. किसी खास वजह से मूड खराब हो तो उस वक्त उस पर चर्चा न करें। बाद में मौका देखकर उस मुददे को छेड़ें। ध्यान रखें अगर कुछ मुदृदे ऐसे हैं, जिनसे पति का मूड और बिगड़ सकता हो तो उन्हें न छेड़ना ही बेहतर है।

9. साथी के लिए त्याग करने को तैयार हैं। यह बात पति-पत्नी दोनों पर लागू होती है। कोई भी संबंध परफेक्ट नहीं होता। आदर्श स्थिति वह है, जिसे हकीकत में पाना मुश्किल ही होता है। रिश्तों को समझने के समय निकालना जरूरी है। उन्हें मौका दें संवरने का।

10. उपहार दें। यह बात विषय से हटकर भले ही लगे, लेकिन कई बार बिना किसी खास मौके के मिला पसंदीदा उपहार भी मूड ठीक कर सकता है। यह सुगंधित इत्र हो सकता है, शेविंग क्रीम, पेन या घड़ी  आदि। छोटा सा यह उपहार साथी के प्रति प्यार को दर्शाता है।

आमतौर पर मूडी लोग खुशमिजाज लोगों को पसंद करते हैं। भले ही ऐसा शब्दों में जाहिर न करें। इसलिए अपनी दिनचर्या को अव्यवस्थित न होने दें। खुश रहें; अपनी ओर से साथी को खुश रखने की कोशिश जारी रखें।

शिक्षा ही सब कुछ नहीं


पं. महेश शर्मा

संबंधों के गणित में पति-पत्नी का सुखद जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों के दृष्टिकोण एक-दूसरे को समझने की वृत्ति पारदर्शिता आधारितर है या नहीे।

ममता शर्मा 27 साल की हैं। वह शोधरत है। उसके घर के लोगों का निजी कारोबार है और सुखी संपन्न हैं। घर की उसकी शादी की चर्चा होती रहती है। वह थोड़ी समझदार है, पर इतनी समझदार भी नहीं की वह जिंदगी के हर तंतु को समझ सके।

वह सजल नयनों से आकाश की ओर टकटकी लगाकर बैठी हुई है। आंखों से गालों को भिगोते आंसू टपक रहे हैं। उसके मानसपट पर जीवन के अंतिम पांच सात वर्ष अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त लड़के को अपने जीवनसाथी के रूप में वरण करने की उसकी असीम इच्छा है। चूंकि वह खुद शिक्षित है इसलिए ऐसा सोचना स्वभाविक भी है।

अभिभावक और घर के दूसरे बुजुर्ग उसे समझाते हैं कि घर अच्छा हो, आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति वाला हो और अच्छी नौकरी या व्यवसाय हो तो उच्च शिक्षा के चोचले को पकड़कर रखना कोई समझदारी की बात नहीं। यह झूठा नखरा कहलाता है इस पर ममता जवाब में दलीलें करती कि यह सब नहीं होगा तो भी मुझे चलेगा, लेकिन उच्च शिक्षा ली होगी तो मुझे समझ तो पाएगा। कुदरत ने भी उसका पक्ष लिया। उसकी शादी एक डाक्टर से हुई। परंतु शैली का उच्च शिक्षा प्राप्त पति का सम्मोहन तो पहले महीने में ही टूट गया। मरीज की नब्ज परखने वाला यह डाक्टर उसकी संवेदनाओं को समझने में बिलकुल अनाड़ी है। उच्च शिक्षा वाले जीवनसाथी की उसकी सनक रह रहकर उसे समझा रही थी कि वक्त बीतने पर सबकुछ ठीक हो जाएगा।

परंतु उसका दुर्भाग्य बलवान होता गया। बरसों बीतने लगे, मन पर घाव लगते गए और अंत में आज आक्रामकता ने बगावत का रूप ले लिया। वह उसे सदा के लिए छोड़कर आ गई है। बिल्कुल सूने आकाश की ओर टकटकी लगाकर अपने बरसों की जुगाली कर रही है। उसका मन प्रश्न करता ही जाता है कि इतना पढ़ा लिखा व्यक्ति भी उसे समझ न पाये, इतनी तो वह जटिल नहीं ही है न !

यहीं पर आकर समझ में आता है कि रिश्तों के गणित में शिक्षा का कोई खास महत्व नहीं है। हालांकि ये बात सभी के उूपर लागू नहीं होता। हां, इतना जरूर है कि वह किस तरह होता है, इसका आधार उसकी शिक्षा पर जरूर रहता है। शादी या अन्य विजातीय रिश्तों में जितनी गांठ अपनढ़ लोगों के बीच पड़ती है, उतनी ही या शायद उससे अधिक गांठ पढ़े लिखे लोगों के बीच में भी पड़ती है। अलबत्ता उसकी अभिव्यक्ति और उसके परिणाम शैक्षिणिक स्तर के हिसाब से भिन्न जरूर होते हंै। कम शैक्षिणिक स्तर वाले शायद सबके सामने लडेंगे, मारपीट कर बैठते हैं, जबकि शिक्षा प्राप्त  बेडरूम की चार दीवारों के बीच यही काम करते हैं। कहने का मतलब ये है कि एसएससी पास पत्नी और डाक्टर पत्नी के कलह में या सामान्य ग्रैजुएट पति और एमबीए पति में अधिक फर्क नहीं होता। फर्क तो वहां होता है जहां समझ होती है।

जिस रिश्ते में दो व्यक्ति एक-दूसरे को सही मायनों में समझते हैं। उस रिश्ते की उष्मा अलग होती है और वहां पढ़ाई का कोई हिस्सा नहीं होता।  रिश्तों के गतिण में व्यक्ति का उस रिश्ते के प्रति दृष्टिकोण, एक-दूसरे को समझने की भावना, विश्वास, माफ करने की वृति, पारदर्शिता, संवेदनाएं आदि महत्वपूर्ण घटक हैं।

दुर्भाग्य की बात यह है कि इनमें से कोई भी बात हमारी शिक्षा व्यक्ति को नहीं सिखाती। ये गुण पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था व परवरिश से विकसित होते हैं। कहने का मतलब ये है कि दांपत्य जीवन की सफलता का आधार ये है कि एक व्यक्ति के रूप में पति पत्नी एक-दूसरे को कितना समझते हैं।