Saturday, April 9, 2011

छूकर देखो जरा

पं. महेश शर्मा
जीवन में प्यार की शक्ति का रहस्य अजीबोगरीब है। इसकी उुर्जा अनंत है। इसके आभास मात्र से आप सक्रिय हो उठते हैं। भरपूर शक्ति के साथ काम में जुट जाते हैं। यही अहसास अगर जीवन संगिनी के साथ होने का हो तो तय है कि आप इसके बल पर अपने जिंदगी में किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

सामान्यतया जीवन संगिनी के प्रेम को लेकर भारतीय समाज में ढेरों धारणाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर जीवनसाथी के साथ व्यावहारिक जीवन सहज है तो उससे बेहतर जिंदगी नहीं हो सकता। वास्तव में है भी ऐसा ही। क्योंकि तरोताजा बने रहने और पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए सुकून सबसे अहम चीज है। इसे आप पैसों से नहीं खरीद सकते। इसे आप अपने व्यवहार और आपसी समझ से ही प्राप्त कर सकते हैं।
इसलिए कहा गया है कि प्यार केवलं भावनाओं का लेना देना नहीं, बल्कि इसमें स्पर्श का योगदान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कुछ समय पहले ही  अमेरिका में हुए एक शोध में पाया गया है कि कोई भी महिला या लड़़की किसी पुरूष को अगर प्यार से छू ले या पुरूष के पीठ का स्पर्श मा़ कर दे तो उसे सुकून मिलता है। उसका मानसिक तनाव कुछ कम हो जाता है। वह दुगुनी साहस के साथ चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए उठ खड़ा होता है।

शोध रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिलाओं के स्पर्श में वह जादू है जो दवा का काम करता है। महिलाओं के छुअन मात्ऱ से पुरूष खुद को सुरक्षित महसूस करने लगते हैं। कोई भी खतरा मोल लेने को तैयार हो जाते हैं। सुरक्षा का यही बोध उन्हें अपने जीवन में निष्चिंत रहने और हर जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि हर पुरूष के बारे में कहा गया है कि उसकी सफलता के पीछे एक नारी का हाथ होता है। इससे आप इंकार नहीं कर सकते। क्योंकि यह केवल मान्य परंपरा ही नहीं, वैज्ञानिक शोधों में आज भी सही साबित हो रहा है।

बाक्स:
पाक स्पर्श एक रोमांच है। यह पुरूष के हर तंतुओं को रोमांच से भर देता है। इस रोमांच से उुर्जा का संचार शरीर में होता है उसी के बल पर पुरूष समाज दुनियादारी का सामना करने में सक्षम होता है।

समर्पण ही प्रेम है

महेश शर्मा

नटसेल में कहा जाए तो प्र्रेम जीने के लिए, प्यार करने और त्याग करने का नाम है।

इतना कहना बहुत आसान है। लेकिन इसी के साथ सवाल यह भी उठ खड़ा होता है कि यदि हमें जीना है तो कैसे जिएं। किस उदृदेष्य के लिए जिएं। इसके लिए सर्वोत्तम मार्ग क्या हो सकता है? जीवन की इस समस्या को हमें विभिन्न प्रकार से देखना है। हम यहां क्यूं आये हें। हमें किस तरह जीना चाहिए और जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए।

इन सभी प्रष्नों का जवाब एक ही आप सही तरह से जीएं और जो भी करें वो विवेक करें। आपका विवेक सही है तो आप किसी भी व्यक्ति से प्रेम के सिवा कुछ कर ही नहीं सकते। प्रेम का रूप भी अलग अलग होता है। एक मां का प्रेम, बहन का प्रेम और पत्नी का प्रेम। पति पत्नी के बीच भी यही प्रेम होना चाहिए। और यह निःस्वार्थ भाव पर आधारित होने चाहिए। दोनों के बीच आपसी रिष्तों में त्याग प्रधान होने चाहिए। तभी वैवाहिक जीवन को लंबे अरसे तक के लिए खींचा जा सकता है। इसके बिना किसी दांपत्य सुख के लिए कोई और प्रयास करना रेगिस्तान में पानी ढूंढने जैसा है। ऐसा इसलिए कि आपको जो मिला है उससे आप खुष नहीं हैं। आप तालमेल बैठाना न हीं चाहते और चंचल मन को नियंत्रित न कर उसके वष में हुए चले जा रहे हैं। यही वैवाहिक जीवन में अषांति का कारण बनता है। इसलिए सच्चे प्रेम की तलाष करें और खुद को उसी के लिए समर्पित कर दें।
हिंसा से बचें:

अगर आप हिंसक प्रव2त्तियों से दूर रहते हैं तो आप षांत रहेंगे। अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि यदि कोई हम पर वार करता है तो हमें भी पलट कर वार करना चाहिए। अहिंसा द्वारा व्यक्ति सुरक्षित रहता है, चाहें तो अगली बार जब कोई समस्या हो तो इसे प्रयोग कर देखें।
झूठ बोलना छोड़ दें:

प्रयास यह होना चाहिए कि आप झूठ कभी नहीं बोलें। क्योंकि एक बार झूठ का सहारा लेने पर आपके रिष्ते का सभी ताना बाना जटिलताओं से घिरने लगता है। ऐसा बार बार करने से वैवाहिक जीवन पर इसका सीधा असर पड़ता है। इसलिए इससे जितना दूर हो सके दूरी बनाएं रखें।
चोरी न करें:
एक ही परिवार में रहने के बाद भी कुछ लोगों की यह प्रव2त्ति होती है कि छोटी-छोटी चीजों को वह छुपा के रखते हैं। यहां तक कि अपने पति से भी। ये सब गलत बात है। इससे भी बचें।
बेवजह के  दिखावे में न पड़ें:

कहने का तात्पर्य यह है कि अनियंत गतिविधियों को जीवन का हिस्सा न बनाएं। आजकल महिलाएं व पुरुश अपने परिवार के साथ या फिर बच्चों के साथ समय नहीं बिताते पर दूसरों के साथ क्लबिंग, किटटी व अन्य फालतू की बातों में समय बर्बाद करना उन्हें अच्छा लगता है। आप इसके बदले अपने अतिरिक्त उुर्जा को संभालकर रखें। जीवन में यह वक्त पर काम आता है। यानी आप खुद को अनुषासित कर एक सषक्त एवं फलप्रद जीवन जी सकते हैं।

जरूरत से ज्यादा धन के फेर में न फंसे: हर एक व्यक्ति को चाहिए कि अगर आपकी मूलभूत आवष्यकता रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता नहीं है तो इससे अतिरिक्त धन के लिए हाय हाय में न फंसे। प्रयास जरूर करें पर उसके लिए अपनी चैन के दाव पर न लगाएं।

Wednesday, April 6, 2011

रेखाएं खोलती हैं विवाह का राज (Hand Lines opens marriage secret)

 महेश शर्मा

रेखाएं भी बहुत कुछ कहती हैं। इनकी उपेक्षा करना बेमानी है। प्रायः लोग जानकारी के अभाव में तार्किक होने की बात कर इसकी उपेक्षा करते हैं, लेकिन लाभ में वही रहते हैं जो इसे स्वीकार करते हैं।

वास्तुविद और ज्योतिष डा. वीके सक्सेना कहते हैं, हमारी जैसी सोच होती है उसी के अनुरूप हाथों की रेखाओं में बदलाव होते रहते हैं। सामान्यतः प्रतिदिन हमारे हाथों की छोटी छोटी रेखाएं बदलती हैं। परंतु कुछ खास रेखाओं में आपकी मानसिक स्थिति के अनुसार बड़े परिवर्तन नहीं होते हैं।

इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल हैं। हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार विवाह रेखा से किसी व्यक्ति भी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।

विवाह रेखा लिटिल फिंगर के नीचे वाले भाग में होती हैं। इस क्षेत्र को बुध पर्वत कहते हैं। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती हैं।

यह रेखाएं संख्या में जितनी होती है उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम प्रसंग होते है। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांपत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

यदि विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने का भय रहता है।

यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाहा किसी धोखे से होगा।

यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रिंग फिंगर के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।

परिवार में शांति चाहिए तो यह करें (Peace in the family should make it)

महेश शर्मा

 चाहते तो सभी हैं, लेकिन दांपत्य जीवन आज कितनों का सुखद होता है? कोई भी परिवार, कोई भी गृहस्थी तब ही शांत, आनंदमय और दिव्यता में रहेगी जब उस परिवार का आधार आपसी प्रेम होगा।
 
प्रेम वह झरोखा है जिससे परमात्मा झलकता है। आत्मा का परम आत्मा से मिलन होता है। इसलिए अपने परिवार को प्रेम पर खड़ा करिए। ऐसा माना गया है कि प्रेम परमात्मा की व्यवस्था है, जबकि विवाह मानवीय व्यवस्था है। जीवन को सहज और सुगम्य बनाने के लिए।

इसलिए आप अपने प्रयासों से विवाह भले ही कर लें पर उसे परमात्या द्वारा निर्मित परिवार को सौंपने पर ही सही मायने में प्रेम का जन्म होगा। जिन परिवारों से प्रेम लुप्त हो गया है उन परिवारों के मनुष्य विकृत, अधार्मिक और हिंसक हुए हैं, वे परिवार अधर्म तथा अशांति का अड्डा बन गए। जब परिवार से प्रेम गायब हो जाए तो गृहस्थी में संघर्ष, कलह, द्वेष, ईष्र्या और उपद्रव का प्रवेश हो जाता है।

इसलिए परिवार के केन्द्र में परमात्मा होना चाहिए। परंतु आज केन्द्र में निज स्वार्थ, अहंकार, मैं बड़ा तू छोटा यह भाव है। इसका परिणाम यह होता है कि परिवार के सदस्य प्रेम के भूखे रह जाते हैं। तड़पता हुआ व्यक्ति दांपत्य से प्रेम खत्म हो जाता है। वह फिर एक मिथ्या प्रेम की तलाश में घर से बाहर निकल जाता है। दुनिया में वैश्याएं असफल दांपत्य के कारणा ही पैदा हुई हैं। परस्त्री और परपुरूष गमन जैसी दुर्धटनाएं प्रेम के अभाव का परिणाम होती हैं। फिर ऐसे दांपत्य से जब संतानों का जन्म होता है तो वे अधूरे बच्चे समाज में विकृति ही फैलाते हैं।

कहने का मतलब यह है कि अगर आपको बेहतर समाज और परिवार के साथ खुद शांति से जीवन व्यतीत करना है तो दांपत्य का आधार आपसी प्रेम को ही बनाएं। इसका और कोई विकल्प नहीं है।